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‘काला धन वापस लाने में रोडा न बनें बैंकिंग गोपनीयता नियम”

सेंट पीटर्सबर्ग : विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के भारत के प्रयास को थोडा और आगे बढाते हुए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के.वी. चौधरी ने कहा है कि सभी देशों को बैंक गोपनीयता नियमों के अवरोधों के बिना ही अनुरोधकर्ता देश के साथ सूचना के आदान-प्रदान में सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए. यूएन कन्वेंशन अगेंस्ट […]

सेंट पीटर्सबर्ग : विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के भारत के प्रयास को थोडा और आगे बढाते हुए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के.वी. चौधरी ने कहा है कि सभी देशों को बैंक गोपनीयता नियमों के अवरोधों के बिना ही अनुरोधकर्ता देश के साथ सूचना के आदान-प्रदान में सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए. यूएन कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन की कॉन्फ्रेंस ऑफ स्टेट पार्टीज के छठे सत्र में बोलते हुए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त चौधरी ने कल शाम यह भी कहा कि सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘उनके बैंकों और वित्तीय संस्थानों में दूसरे देशों का बेनामी धन न पडा हो.’ उन्होंने कहा, ‘हम सभी देशों से दृढता के साथ कहते हैं कि वे बैंक गोपनीयता के नियमों के किसी भी अवरोध के बिना अनुरोधकर्ता देश के साथ सूचना के आदान-प्रदान में सहयोग को सुनिश्चित करें.’

कन्वेंशन के एक प्रावधान का हवाला देते हुए सीवीसी ने कहा कि संपत्ति लौटाना यूएनसीएसी का मूल सिद्धांत है और सदस्य देशों को चोरी की गयी संपत्ति मूल देशों को लौटाने में आसानी लाने के लिए आपस में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के व्यापक उपाय करने चाहिए. इन संपत्तियों में बेनामी संपत्ति और विशेष तौर पर सुरक्षित पनाहगाहों पर रखी गयी संपत्ति शामिल है. इस साल अप्रैल में अपराध रोकथाम एवं अपराधिक न्याय पर आयोजित 13वीं संयुक्तराष्ट्र कांग्रेस द्वारा अंगीकार किये गये दोहा घोषणापत्र के अनुरुप भारत अनुरोधकर्ता देशों को ‘संपत्ति की पहचान, कुर्की, जब्ती, वापस हासिल करने और इसे देश वापस भेजने’ में हर तरह की मदद करने की वकालत करता है.

इस प्रक्रिया को अधिक तेज बनाने के लिए भारत ने सदस्य देशों को विधायी रचना, जांच प्रक्रिया, उनके शीर्ष प्रशिक्षण संस्थानों में कानूनी पढाई के क्षेत्रों में तकनीकी मदद का प्रस्ताव भी दिया है और साथ ही वैश्विक समुदाय के लिए क्षमता निर्माण में मदद की पेशकश की है. चौधरी ने यूएन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम द्वारा सभी सदस्य देशों को भ्रष्टाचार-रोधी व्यवहारिक मुद्दों पर सकारात्मक एवं रचनात्मक ढंग से एक मंच उपलब्ध करवाने के लिए किये गये सतत प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘एक पारदर्शी, दक्ष, समावेशी और निष्पक्ष समीक्षा प्रणाली का विकास इस संदर्भ में हासिल की गयी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है. यह एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में सामने आयी है.’

चौधरी ने कहा, ‘यह हमें न सिर्फ अंतरों को पाटने और विकास विशेषज्ञता को साझा करने में मदद करता है बल्कि यह कानूनों, नियमों, नीतियों और अच्छी प्रणालियों से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी एक ही मंच पर उपलब्ध भी करवाता है.’ अपनी प्रस्तुति के बाद चौधरी ने विश्वास जताया कि सम्मेलन में हुई चर्चाएं ‘भ्रष्टाचार और इसके सभी रूपों एवं नतीजों से दृढता के साथ निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियां तय करने में मदद करेंगी.’ उन्होंने कहा, ‘हमारा मुख्य ध्यान इस पर रहा है कि भ्रष्टाचार रोकथाम एवं संपत्ति की पुन:प्राप्ति पर बल दिया जाए और इस बीच बैंकिंग गोपनीयता के नियम रोडा न बनें.’ यह पहली बार है जब संयुक्तराष्ट्र के मंच पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व इतने बडे पद पर आसीन अधिकारी द्वारा किया जा रहा है.

सीवीसी ने स्वतंत्रता के बाद से भारत सरकार द्वारा न्यायपालिका, कैग और सीवीसी की भूमिका पर विशेष जोर देने वाले नए नियम पारित करके भ्रष्टाचार रोकथाम की दिशा में उठाये गये कदमों को भी रेखांकित किया गया. ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ द स्टेट पार्टीज टू द यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन’ की स्थापना सदस्य देशों के बीच सहयोग और क्षमता में सुधार लाने के लिए की गयी थी ताकि कन्वेंशन में तय किये गये लक्ष्यों को हासिल किया जा सके एवं इसके क्रियान्वयन की समीक्षा की जा सके. इस साल के सम्मेलन की शुरुआत दो नवंबर को हुई और यह छह नवंबर तक चलना है. यह दो साल में एक बार होने वाला आयोजन है. पिछली बार नवंबर 2013 में इस सम्मेलन का आयोजन पनामा में हुआ था.

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