नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार कार्पोरेट कर घटाकर 25 प्रतिशत करने की योजना के तहत अगले कुछ दिनों में कर छूटें खत्म करने का खाका पेश करेगी. इसके पहले चरण की घोषणा बजट में होगी. उन्होंने उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा ‘मैंने प्रत्यक्ष कराधान के खाके की घोषणा की है. ताकि कुछ छूटों को धीरे-धीरे खत्म कर कार्पोरेट कर घटाकर 25 प्रतिशत पर लाया जा सके. हम अगले कुछ दिनों में ऐसी कर छूटों को सार्वजनिक करेंगे जो हम पहले दौर में खत्म करना चाहते हैं.’ उन्होंने कहा ‘कार्पोरेट कर में कटौती का पहला चरण. मुझे उम्मीद है कि यह निकट भविष्य में आएगा जब नया वित्त विधेयक पेश होगा.’ जेटली ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित ‘नैशनल स्ट्रैटेजी डे ऑन इंडिया’ सम्मेलन में यह टिप्पणियां कीं. मंत्री ने फरवरी में अपने बजट में घोषणा की थी कि सरकार अगले चार साल में कार्पोरेट कर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करना चाहती है.
जेटली ने यह भी कहा कि सरकार पिछली तिथि से लगाये गये कर से जुडे मुद्दों सहित पिछली सरकार से विरासत में मिले कई मुद्दों का समाधान करने में कामयाब रही है हालांकि, दो-तीन समस्याएं अभी बचीं हैं. जेटली ने कहा ‘व्यवस्थित तरीके से हम एक-एक कर कराधान के मामलों को सुलझाते रहें हैं. जिससे पिछली तिथि से कराधान का डर खत्म हो गया है. इनमें से दो-तीन समस्यायें अभी हैं और वे कानूनी वजहों के कारण हैं. मैंने सार्वजनिक तौर पर घोषणा की है कि हम ऐसी प्रक्रियाओं पर विचार कर रहे हैं जिसके जरिए इनमें से कुछ का समाधान किया जा सके.’ जेटली ने कहा कि जब उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर पद ग्रहण किया तो उनके पास समस्याओं का अंबार था.
वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने बेहद प्रतिकूल और कठोर कर ढांचे का भय खत्म करने के लिए निरंतर कडी मेहनत की. उन्होंने कहा कि पिछली तारीख से कराधान और पिछली सरकार से विरासत में मिले मुद्दे अर्थव्यवस्था के लिए परेशानी का सबब रहे. कुछ मांगे बढा-चढाकर पेश की गयी थीं जबकि अन्य मामलों में कार्यकारी पहलों के जरिए उन मुद्दों का समाधान संभव नहीं है क्योंकि आकलन आर्डर जारी किये जा चुके थे. जेटली ने कहा ‘मेरे पास ऐसी समस्याओं का अंबार था और वे साधारण समस्याएं नहीं थीं. विशेष तौर पर जब आकलन आदेश जारी हो चुके हों तो आपको इन्हें दरकिनार करने की कोई कार्यकारी शक्ति नहीं है. उन्हें कानून में बदलाव या न्यायिक या अर्धन्यायिक आदेश के जरिए ही दरकिनार किया जा सकता है.’
जेटली ने कहा ‘मैं संतोष के साथ कहना चाहूंगा कि इनमें से काफी सारे मुद्दों को निपटा दिया गया है.’ वित्त मंत्रालय भी काराधान कानून और प्रक्रियाओं को आसान बनाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 17 महीनों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा बहाल हुआ है. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर जेटली ने कहा ‘यह सिर्फ समय की बात है क्योंकि इसे रोकने का हंगामा अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता. मुझे लगता है कि जब भी इस पर मतदान होगा यह वास्तविकता बन जाएगा.’ वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी कानून को आमल में लाने के लिये सहायक कानून और सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा तैयार कर लिया गया है.
उन्होंने कहा ‘जैसे ही राज्य सभा इसे पारित करेगी हमें 50 प्रतिशत राज्यों से अनुमोदन करा लेंगे और इसे लागू करने की स्थिति में होंगे. उन्होंने कहा ‘जीएसटी ने उल्लेखनीय प्रगति की है. संसद की स्थाई समिति ने इसकी सिफारिश की है ओर लोकसभा ने इसे दो-तिहाई बहुमत से पारित किया है.’ जेटली ने कहा ‘लगभग सभी राज्य सरकारें साथ में हैं. मुझे यह जरुर कहना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी की राज्य सरकारों ने भी इसका समर्थन किया है.’
उन्होंने, हालांकि, कहा ‘मुझे अफसोस के साथ कहना पड रहा है कि जहां तक कांग्रेस का सवाल है उसने नीतिगत मामले में रंग बदला है और यह खेदजनक है कि ऐसा उन लोगों ने किया जिन्होंने जीएसटी विधेयक को आगे बढाया था. यह पैंतरेबाजी किसी नीतिगत वजह से नहीं थी बल्कि राजनीतिक वजह से की गयी क्योंकि इसके पीछे हंगामा कर रास्ता रोकने की नीति थी. वित्त मंत्री जीएसटी विधेयक पारित करने के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बातचीत करते रहे हैं.
उन्होंने कहा ‘मैं कांग्रेस पार्टी के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हूं. अब तक मैंने उनके नेताओं से जो बात की है मुझे नहीं लगता कि कम से कम अवधारणात्मक स्तर पर इसका कोई विरोध है. मैं उनसे एक बार फिर बात करुंगा और उन्हें बात समझाने की कोशिश करुंगा.’ उन्होंने कहा कि राज्य सभा का समीकरण आने वाले महीनों में बदलेगा और सरकार के लिए काम करना आसान होगा. जेटली का मानना है कि लोकमत आर्थिक सुधारों को आगे बढाने के पक्ष में और इसमें अडगा डालने वालों के खिलाफ है.
उन्होंने कहा ‘अस्थाई तौर पर वे कुछ पहलों को रोकने में कामयाब हो सकते हैं. लेकिन मुझे लगता है कि दिशा तय हो जाने पर इस बदलाव के लिए गतिविधियां आगे चलती रहेंगी.’ उन्होंने कहा कि वैश्विक निवेशकों ने भारत में ऐसे समय में रुचि दिखाई जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था बेहद चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा ‘हमने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दिशा तय की है. हर पहल के साथ निरंतर हम उस दिशा में आगे बढ रहे हैं और ऐसे किसी नीतिगत बदलाव को मंजूरी नहीं देंगे जो इसके विपरीत दिशा में हो. मुझे लगता है कि भारत बेहद आकांक्षाओं वाला देश बन गया है.’
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