अहमदाबाद : दिवाली के मौके पर स्वर्ण मौद्रीकरण योजना पेश करने की तैयारी के बीच भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबद के इंडिया गोल्ड पालिसी सेंटर (आईजीपीसी) ने इस पर जमीनी स्तर पर प्रतिक्रिया के आधार पर श्वेतपत्र तैयार करने की कोशिश शुरू की है जो सरकार को पेश किया जाएगा. आईजीपीसी के प्रमुख प्रोफेसर जयंत वर्मा ने कहा कि श्वेत पत्र तैयार करने के लिए विभिन्न संबद्ध पक्षों के साथ बातचीत शुरू हो गयी है.आईआईएम-अहमदाबाद में वित्त एवं लेखा क्षेत्र के प्रोफेसर, वर्मा के मुताबिक श्वेतपत्र करीब एक महीने में सौंपा जाएगा.
उन्होंने कहा ‘मुझे खुशी है कि नीति निर्माताओं को विभिन्न संबद्ध पक्षों की राय से अवगत कराया जा सकेगा. यदि भारत उपलब्ध सोने के छोटे हिस्से का भी मौद्रीकरण कर सका तो इसका हमारी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा. आईजीपीसी में हमने सरकार को करीब एक महीने में श्वेतपत्र सौंपने की योजना बनायी है.’हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने घर-परिवार और मंदिर न्यास आदि के पास पड़े सोने के संग्रहण के लिए स्वर्ण मौद्रीकरण योजना, सावरेन स्वर्ण बांड योजना की मंजूरी दे दी है.
आईजीपीसी के विशेषज्ञों का मानना है कि स्वर्ण मौद्रीकरण योजना से भारत को सोने का आयात बिल घटाने में मदद मिलेगी क्योंकि भारत में सबसे अधिक आयात की जाने वाली वस्तुओं में कच्चे तेल के बाद सोना दूसरे नंबर पर है. स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के तहत लोगों को बैंक में सोना जमा करने पर कुछ ब्याज भी मिलेगा. वर्मा ने कहा कि हाल में मुंबई एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था ताकि श्वेतपत्र के लिए सुझाव एकत्रित किए जा सकें. भारत में घर-परिवार के पास कितना सोना पडा है इसके संबंध में कोई आधिकारिक आंकडा नहीं है, हालांकि, वर्मा का मानना है कि सरकारी भंडार से निश्चित तौर पर अधिक होगा.
वर्मा ने कहा ‘गैरसरकारी अनुमान ही हैं, मसलन, अक्सर 20,000 टन सोने का हवाला दिया जाता है. हालांकि लोगों के पास निश्चित तौर पर सरकारी स्वर्ण भंडार के मुताबिक कहीं अधिक मात्रा में सोना होगा.’ उक्त कार्यशाला में सरकार द्वारा साझा किये गये आंकडों के मुताबिक भारत में सोने के सबसे अधिक उपभोक्ता हैं और विश्व की कुल खपत में इनका योगदान 20 प्रतिशत से अधिक है. पिछले पांच साल के दौरान भारत में सोने की मांग औसतन 900 से 1,000 टन प्रति वर्ष रही है. अनुमान के मुताबिक सोने की मांग का करीब 30 प्रतिशत हिस्सा निवेश उद्देश्य से खरीदा जाता है.
वर्मा का मानना है कि भारत में सोने को लेकर भावनात्मक या सामाजिक मूल्य जुडे हैं इसलिए संभव है कि ये योजनाएं उस वर्ग को न लुभाएं जो सोने से भावनात्मक तौर पर जुडे हैं. उन्होंने कहा ‘यह योजना उन लोगों को ज्यादा आकर्षित करेगी जो सोना निवेश के लिए खरीद रहे हैं न कि भावनात्मक जुडाव की वजह से. यह उनको भी आकर्षित करेगी जो पुरखों से मिले जेवरात को बदलकर नये डिजाइन के आभूषण लेना चाहते हैं.’
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