नयी दिल्ली : भारत में 2018 तक 4.37 लाख लोग ऐसे धनी होंगे जिनकी हैसियत 10 लाख डालर (6 करोड रुपये से अधिक) होगी. 2023 तक आते आते ऐसे लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. इस तरह संपत्ति सृजन के लिहाज से यह भारत का दशक होगा. यह बात एक नये अध्ययन में कही गई है. वेल्थ-एक्स की रपट में कहा गया कि लंबे समय से जाति व्यवस्था के कारण भारत में आय और संपत्ति में भारी अंतर स्वीकार्य है.
इसके विपरीत ब्राजील और चीन जैसे अन्य उभरते बाजारों में ‘सामाजिक विषमता और मितव्ययिता के एजेंडा’ के चलते संपत्ति सृजन और विलासिता पर खर्च अपेक्षाकृत बाधित होता है.’ रपट में भारत में धनाढ्यों की तादाद में भारी बढोतरी के लिए नयी, सुधारवादी सरकार द्वारा पैदा आर्थिक आशावाद और प्रदर्शन को श्रेय दिया गया है. पिछले साल दस लाख डालर से अधिक की सम्पत्ति वालों की संख्या 27 प्रतिशत बढकर 2,50,000 हो गई जो उससे पहले 1,96,000 थी.
वेल्थ एक्स ने अपनी रपट ‘संपत्ति के दशक : संपत्ति और विलासिता के अगले 10 साल’ में कहा ‘आने वाले दिनों में भारत में नये धनियों का बनना तेजी से जारी रहेगा. हमारा अनुमान है कि 2018 तक ऐसे 4,37,000 लोग होंगे जिनकी आय 10 लाख डालर से अधिक होगी और 2023 तक इनकी संख्या बढकर दोगुनी हो जाने की संभावना है.’ रपट के मुताबिक भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे बाजारों में आने वाले दशक में करोडपतियों की तादाद में बढोतरी होगी.
रपट में कहा गया ‘हम हो सकता है भारत के दशक में प्रवेश कर रहे हों. पिछले साल भारतीय संपत्ति और भारत में धनी व्यक्तियों की संख्या में उल्लेखनीय बढोतरी हुई.’ वेल्थएक्स ने कहा कि इसके अलावा इस देश में युवाओं की संख्या अधिक है. यहां उद्यमशीलता और कारोबार के स्वामित्व का स्तर काफी उंचा है और यह सब एक अति-विकसित कानूनी प्रणाली के तहत है जिससे अंतत: संपत्ति सृजन में मदद ही मिलती है.
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