नयी दिल्ली : देश के विनिर्माण क्षेत्र में मई के दौरान हल्की वृद्धि देखी गई है. लेकिन, आने वाले समय में मांग की स्थिति और कमजोर हो सकती है जिसका औद्योगिक उत्पादन आंकडों पर नकारात्मक असर पड सकता है. यह बात भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध रपट में कही गई. भारतीय अर्थव्यवस्था की विनिर्माण […]
नयी दिल्ली : देश के विनिर्माण क्षेत्र में मई के दौरान हल्की वृद्धि देखी गई है. लेकिन, आने वाले समय में मांग की स्थिति और कमजोर हो सकती है जिसका औद्योगिक उत्पादन आंकडों पर नकारात्मक असर पड सकता है. यह बात भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध रपट में कही गई.
भारतीय अर्थव्यवस्था की विनिर्माण गतिवधि के लिए प्रमुख संकेतक एसबीआई मासिक संयुक्त सूचकांक मई 2015 में बढकर 53.8 पर रहा जो अप्रैल 2015 में 46.8 था. हालांकि इसमें गिरावट की आशंका है.
एसबीआई की अनुसंधान रपट में कहा गया है कि हमारा मानना है कि हाल के दौर में हल्की ऋण वृद्धि और वाणिज्यिक वाहन बिक्री में नरमी का जनू-जुलाई 2015 के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में नकारात्मक असर पड सकता है. यह आगे चलकर हमारे संयुक्त सूचकांक के मूल्य में परिलक्षित होगा. इस बीच मुद्रास्फीति के लगातार शून्य से नीचे रहने और कमजोर मांग के कारण सालाना एसबीआई मिश्रित सूचकांक मई 2015 में घटकर 56.4 पर रहा जो अप्रैल 2015 में 58.2 पर था.
एसबीआई ने कहा कि सूचकांक का 42 से कम पर रहना बडी गिरावट और 42 से 46 के बीच रहना मध्यम गिरावट, 46 से 50 कम गिरावट, 50 से 52 कम वृद्धि, 52 से 55 मध्यम वृद्धि और 55 से अधिक उच्च वृद्धि का संकेतक है.
अनुसंधान में कहा गया, हम कमजोर मांग की स्थितियों को लेकर बेहद चिंतित हैं जो बढ नहीं रही है. मुद्रास्फीति में गिरावट के आंकडे आश्चर्यचकित करते रहेंगे जबकि खुदरा मुद्रास्फीति अगले 2-3 महीनों में चार प्रतिशत से कम रहने की संभावना है और यह केवल आधार का प्रभाव नहीं होगा जैसा कि व्यापक तौर पर माना जा रहा है.
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