मुंबई : भले ही देश में 1.9 करोड मकानों की कमी है, करीब 1.02 करोड मकान बनकर तैयार हैं और खाली पडे हैं जिन्हें कमजोर तबकों के लिए किराये के आवास कार्यक्रम के तहत इस्तेमाल में लाया जा सकता है. संपत्ति क्षेत्र में परामर्श सेवाएं देने वाली सीबीआरइ के मुताबिक, 1.9 करोड मकानों की कमी में से करीब 56 प्रतिशत की कमी आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए है.
जिनकी औसत वार्षिक पारिवारिक आमदनी एक लाख रुपये तक है, जबकि करीब 40 प्रतिशत कमी निचली आय के समूह (एलआइजी) में जिनकी आय एक से दो लाख रुपये है. सीबीआरइ के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (दक्षिण एशिया) अंशुमान मैगजीन ने कहा, ‘आपूर्ति-मांग के बीच मेल नहीं होने की मुख्य वजह कम आय वाली आबादी के पास औपचारिक आवास विकल्पों की कमी है.
मकानों के ऊंचे दाम के साथ ही बैंक ऋणों तक उनकी पहुंच कम होने से वे बिखरी कालोनियों, शहरी बस्तियों एवं अनाधिकृत मकानों में रहने को मजबूर हैं.’
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