नयी दिल्ली : देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि वर्ष 2022 तक कच्चे तेल के आयात में 10 प्रतिशत कमी लायी जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने संपन्न लोगों से स्वेच्छा से रसोई गैस सब्सिडी छोडने की भी अपील की. पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा आयोजित पहले ‘ऊर्जा संगम’ सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये प्रधानमंत्री ने आज कहा कि इस समय पेट्रोलियम पदार्थों का आयात कुल मांग का 77 प्रतिशत है, वर्ष 2022 तक इसे 10 प्रतिशत कम किया जाना चाहिये और उसके बाद 2030 तक आयात और कम करके 50 प्रतिशत पर लाया जा सकता है.
देश में वर्ष 2013-14 में कच्चे तेल आयात पर 1,89,238 करोड रुपये खर्च हुये हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय देश में 27 लाख लोगों को पाइप के जरिये रसोई गैस की आपूर्ति की जा रही है. चार साल में एक करोड परिवारों पाइप गैस की आपूर्ति करने की योजना है. मोदी ने सुविधा संपन्न लोगों से स्वेच्छा से सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर छोडने की अपील करते हुये कहा कि अब तक 2.8 लाख लोगों ने इस तरह के एलपीजी कनेक्शन छोडे हैं. इससे 100 करोड रुपये सब्सिडी की बचत हुई है.
उन्होंने कहा ‘सब्सिडी में बची इस राशि का उपयोग गरीबों के लिये स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जायेगा. मैं अपील करता हूं कि जो बाजार मूल्य पर एलपीजी खरीद सकते हैं वे कृपया सब्सिडीशुदा एलपीजी नहीं लें.’ ‘उर्जा संगम-2015’ का आयोजन ओएनजीसी विदेश, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड और इंडियन ऑयल की बरौनी रिफाइनरी के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में किया गया.
प्रधानमंत्री ने विकास के लिये ऊर्जा को जरुरी बताते हुये कहा कि ऊर्जा सुरक्षा देश की आवश्यकता और जिम्मेदारी दोनों है. उन्होंने कहा ‘पिछले दस महीने के दौरान सुधारों को बल दिया गया. कई पहलें की गयी हैं. आम आदमी की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये गैस सब्सिडी सीधे हस्तांतरित करने पर जोर दिया गया. 12 करोड लोगों को सीधे बैंक खातों में गैस सब्सिडी पहुंचाने का काम किया गया. सरकार ने जनधन, जनशक्ति और ऊर्जा शक्ति को जोडने का प्रयास किया.
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