नयी दिल्ली : उद्योग संगठन ऐसोचैम ने प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिये प्राकृतिक संसाधन नीति (एनआरपी) और प्राकृतिक संसाधन नियामक )(एनआरआर) के गठन की मांग की है ताकि बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए उचित, पारदर्शी और नीलामी आधारित जवाबदेह प्रणाली सुनिश्चित की जा सके.
फिलहाल, सरकार कोल इंडिया लिमिटेड की ओर से खनन के लिए निजी कंपनियों को शामिल करने पर जोर दे रही है. इसके तहत खनन, विकास और परिचालन (एमडीओ) मॉडल पर ध्यान दिया जा रहा है जिसमें निजी कंपनियां परिचालन करेगी जबकि स्वामित्व और कोयले की बिक्री सीआईएल के पास रहेगी.
ऐसोचैम ने कहा ‘साफ है कि सीआईएल के पास भारत की मौजूदा और अनुमानित ऊर्जा मांग को पूरा करने की क्षमता नहीं है ऐसे में निजी क्षेत्र की वृहत्तर भूमिका अनिवार्य है.’ उद्योग मंडल ने कहा ‘इसको देखते हुए महत्वपूर्ण है कि विभिन्न किस्म के नीतिगत सुधार किए जाएं जो इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा पेश करने के आडे आ रही विभिन्न बाधाओं को दूर किया जा सके.’
भारत में विशाल खनिज भंडार होने के बावजूद खनन क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान आम तौर पर स्थिर है. उद्योग मंडल ने कहा कि भारत 87 खनिजों का उत्पादन करता है जिसमें चार ईंधन, 10 धात्विक, 47 गैर धात्विक, तीन परमाणु और 23 सूक्ष्म खनिज (निर्माण एवं अन्य पदार्थ) शामिल हैं.
खनन क्षेत्र से भारत की आबादी का बहुत मामूली हिस्सा (0.3 प्रतिशत) जुडा है जबकि दक्षिण अफ्रीका में यह अनुपात 3.8 प्रतिशत, चिली में 1.4 प्रतिशत और चीन में यह 0.7 प्रतिशत है.
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