नयी दिल्ली : भारत में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कारोबार में वृद्धि की संभावनाओं को लेकर दुनिया के अन्य देशों के शीर्ष अधिकारियों की तुलना में ज्यादा आश्वस्त हैं. पीडब्ल्यूसी के एक अध्ययन में कहा गया है कि इनमें से ज्यादातर मुख्य कार्यकारी अधिकारी गठजोड के जरिये नये बाजारों में उतरने की योजना बना रहे हैं. पीडब्ल्यूसी के 18वें सालाना वैश्विक सीईओ सर्वे के अनुसार 62 प्रतिशत भारतीय सीईओ लघु अवधि यानी 12 माह में वृद्धि की संभावनाओं को लेकर अधिक आश्वस्त हैं.
वैश्विक स्तर पर यह आंकडा 49 प्रतिशत का है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अधिक आशावाद का रुख केंद्र में मजबूत सरकार के गठन के बाद पैदा हुये उत्साह से भी आगे बढकर है. इसमें कहा गया है कि 84 प्रतिशत भारतीय सीईओ को अधिक अवसर दिखाई देते हैं, वहीं 41 फीसदी को अधिक खतरे नजर आ रहे हैं. इसके अलावा 71 प्रतिशत मुख्य कार्यकारी अधिकारी अगले तीन साल के दौरान वृद्धि की संभावनाओं को लेकर काफी आशान्वित हैं.
पीडब्ल्यूसी इंडिया के चेयरमैन दीपक कपूर ने कहा, ‘भारत में मुख्य कार्यकारी दोनों मोर्चे मसलन देश और देश के बार के घटनाक्रमों से लाभ की स्थिति में हैं.’ पीडब्ल्यूसी ने कहा कि महत्वपूर्ण कौशल उपलब्ध नहीं होना भारतीय और वैश्विक दोनों सीईओ की साझी चिंता है. एक रोचक पहलू यह है कि कर बोझ से लेकर आपूर्ति श्रृंखला में बाधा जैसे मानदंड़ों पर भारत की तुलना में चीन में जोखिम का अंदेशा अधिक जताया जा रहा है.
दुनिया भर के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने अपनी वृद्धि संभावनाओं के लिए भारत को छठा महत्वपूर्ण स्थान बताया. वहीं भारतीय सीईओ अमेरिका को सबसे महत्वपूर्ण बाजार मांनते हैं. इसके बाद चीन, ब्रिटेन, जापान व इंडोनेशिया का नंबर आता है.
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