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स्पेक्ट्रम मंहगा हुआ तो शायद कर्ज नहीं देगा बैंकः एसबीआई

नयी दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने कहा कि यदि दूरसंचार क्षेत्र के लिये स्पेक्ट्रम बिक्री में 3जी स्पेक्ट्रम की तरह दाम काफी उंचे रहते हैं तो शायद इसकी खरीद के लिये बैंकऋण नहीं दे, क्योंकि इस तरह के कर्ज को बिना गारंटी वाला असुरक्षितऋण माना जाता है. स्टेट बैंक को […]

नयी दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने कहा कि यदि दूरसंचार क्षेत्र के लिये स्पेक्ट्रम बिक्री में 3जी स्पेक्ट्रम की तरह दाम काफी उंचे रहते हैं तो शायद इसकी खरीद के लिये बैंकऋण नहीं दे, क्योंकि इस तरह के कर्ज को बिना गारंटी वाला असुरक्षितऋण माना जाता है.

स्टेट बैंक को आशंका है कि बिना गारंटी वालेऋण जोखिम को देखते हुये उसे अधिक प्रावधान करना होगा जिसका बैंक की क्रेडिट रेटिंग पर प्रतिकूल असर हो सकता है. स्टेट बैंक ने दूरसंचार नियामक ट्राइ के स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण के संबंध में कहा ‘‘बैंकों के बही-खाते में असुरक्षितऋण रखने का भारी नुकसान होगा .. यदि भविष्य में स्पेक्ट्रम कीमत अधिक होती है जैसा कि 3जी मामले में हुआ था तो बैंक बिना जमानत वालेऋण के स्वरुप को देखते हुए इन कारोबारी योजनाओं के लिये धन मुहैया कराने की स्थिति में नहीं होगा.’’3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी 2010 में की गई थी और इससे सरकारी खजाने में 67,000 करोड़रुपए आए थे.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राइ) ने स्पेक्ट्रम के लिए इससे पहले 2008 तक दूरसंचार कंपनियों द्वारा अदा की जाने वाली राशि के मुकाबले 11 गुना कीमत तय की है. नियामक ने नंवबर 2012 में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने के सबंध में 3जी मूल्य को पैमाना बनाया था.दूरसंचार कंपनियों ने बार-बार इस क्षेत्र के लिएऋण की कमी का मुद्दा उठाया है. इसके बाद सरकार ने एसबीआई के साथ नवंबर 2012 से मार्च 2013 के बीच होने वाली स्पेक्टम नीलामी के लिए धन मुहैया कराने के संबंध में त्रिपक्षीय समझौता किया था. उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2012 में जब दूरसंचार कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए तो भारतीय बैंकों को करीब 28,000 करोड़ रुपए का झटका लगा.

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