मुंबई: रुपये में निरंतर गिरावट के बीच रिजर्व बैंक ने दूसरे देशों में भारतीय कंपनियों द्वारा किये जाने वाले निवेश तथा देश से बाहर धन भेजने पर अंकुश लगाने समेत कुछ कठोर उपायों की घोषणा की. इसका मकसद विदेशी मुद्रा के देश से बाहर जाने से रोकना है.
केंद्रीय बैंक ने घरेलू कंपनियों के लिये विदेशों में प्रत्यक्ष निवेश सीमा को उनकी नेटवर्थ के 400 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया. इससे सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को छूट दी गयी है. रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनियों ओएनजीसी विदेश और ऑयल इंडिया द्वारा विदेशों में गैर.पंजीकृत इकाइयों में निवेश की यह सीमा लागू नहीं होगी.
शीर्ष बैंक ने कहा विदेशों में प्रत्यक्ष निवेश की यह घटी सीमा पूंजी भेजने के मामले में भी लागू होगी. घरेलू कंपनियों द्वारा विदेशों में उर्जा और प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र में गैर.पंजीकृत इकाईयों को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) योजना के तहत भेजी जाने वाली राशि पर भी घटाई गई नई सीमा लागू होगी. रिजर्व बैंक ने भारतीयों के लिये उदारीकृत पूंजी प्रेषण योजना के तहत भी सीमा कम कर दी.
कोई भी भारतीय इस योजना के तहत सालभर में अब दो लाख डालर के बजाय केवल 75,000 डालर ही विदेश भेज सकेगा. भारतीयों को हालांकि, विदेशों में संयुक्त उद्यम अथवा पूर्णस्वामित्व की इकाई लगाने की अनुमति यथावत रहेगी लेकिन विदेशी मुद्रा संशोधित सीमा के तहत ही भेजी जा सकेगी.
रिजर्व बैंक के इन उपायों से देश से विदेशी पूंजी का बाह्य प्रवाह कुछ कम होगा. डॉलर के मुकाबले रपया आज 24 पैसे लुढ़ककर अबतक के सबसे निम्न स्तर 61.43 के स्तर पर आ गया. साथ ही ही रिजर्व बैंक ने तीन साल या उससे अधिक समय के लिये प्रवासी जमाओं (एफसीएनआर तथा एनआरई) के मामले में केंद्रीय बैंक के पास निश्चित मात्रा में सांविधिक राशि रखे जाने को लेकर छूट दिये जाने के संदर्भ अधिसूचना जारी की.
इधर, नई दिल्ली में आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने कहा कि रुपये को स्थिर बनाने के लिये और कदम उठाये जाएंगे वहीं वित्त मंत्री पर चिदंबरम ने कहा कि हम यूं ही रपये को गिरते नहीं देंगे और इस पर अंकुश लगाएंगे.
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