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मुद्रास्फीति पांच साल के निचले स्तर पर, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढी

नयी दिल्ली: थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर शून्य से नीचे आ गई है और इससे रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में और कटौती को लेकर उम्मीद बढ गई है. जनवरी में मुद्रास्फीति शून्य से 0.39 प्रतिशत नीचे रही है. यह इसका साढे पांच साल का निचला स्तर है. मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने […]

नयी दिल्ली: थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर शून्य से नीचे आ गई है और इससे रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में और कटौती को लेकर उम्मीद बढ गई है. जनवरी में मुद्रास्फीति शून्य से 0.39 प्रतिशत नीचे रही है. यह इसका साढे पांच साल का निचला स्तर है.

मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने में दूसरी बार शून्य से नीचे आयी है जो इस मामले में स्थिति में अच्छे सुधार का संकेत माना जा रहा है.थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में 0.11 प्रतिशत थी. नवंबर के मुद्रास्फीति के आंकडे को संशोधित कर शून्य से 0.17 प्रतिशत नीचे किया गया है. पहले यह शून्य था.

सरकार द्वारा आज जारी आंकडों के मुताबिक प्रोटीन वाले कुछ उत्पादों तथा गेहूं की कीमत जनवरी के दौरान कुछ घटी लेकिन कुल खाद्य मुद्रास्फीति छह महीने के उच्चतम स्तर आठ प्रतिशत पर रही. इससे पहले जून, 2009 में थोक मुद्रास्फीति अपने अब तक के न्यूनतम स्तर, शून्य से 0.4 प्रतिशत नीचे थी.

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा से पहले 15 जनवरी को मुख्य ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की अप्रत्याशित कटौती की थी. उम्मीद है कि वह मुद्रास्फीति की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार के मद्देनजर बजट के बाद नीतिगत ब्याज दरों में और कटौती कर सकते है. मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा सात अप्रैल को होनी है.

ईंधन तथा बिजली खंड में मुद्रास्फीति जनवरी में शून्य से 10.69 प्रतिशत कम रही जबकि विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर 1.05 प्रतिशत रही.पेट्रोल की मुद्रास्फीति में जनवरी में 17.08 प्रतिशत का संकुचन हुआ. दिसंबर में इसमें 11.96 प्रतिशत की कमी हुई थी. इसी तरह डीजल की कीमत में गिरावट भी दिसंबर के मुकाबले अधिक रही.

उद्योग मंडल फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी ने कहा, ‘‘ थोक एवं खुदरा दोनों स्तरों पर मुद्रास्फीति में नरमी का रुझान जारी रहने और औद्योगिक क्षेत्र में टिकाउ सुधार नजर नहीं आने के मद्देनजर हमें उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक बजट के बाद में नीतिगत दरों में कटौती की नीति जारी रखेगा.’’

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