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आरबीआई की नीतिगत ब्याज दरें अपरिवर्तित

मुंबई: कमजोर रुपए को संभालने में लगे भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपनी सभी मुख्य ब्याज दरें अपरिवर्तित रखीं और सरकार से कहा कि चालू खाते के घाटे पर नियंत्रण के लिए वह तुरंत कदम उठाए. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: में वृद्धि के अपने अनुमान को 5.7 […]

मुंबई: कमजोर रुपए को संभालने में लगे भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपनी सभी मुख्य ब्याज दरें अपरिवर्तित रखीं और सरकार से कहा कि चालू खाते के घाटे पर नियंत्रण के लिए वह तुरंत कदम उठाए.

केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: में वृद्धि के अपने अनुमान को 5.7 प्रतिशत से घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है और कहा है कि देश की आर्थिक स्थिरता के लिए इस समय सबसे बड़ा खतरा वाह्य क्षेत्र से है.

आरबीआई ने कहा है रुपए को संभालने के लिए उसने बैंकिंग तंत्र में नकदी कम करने के लिए हाल में जो सख्त उपाय किए है उन्हें विदेशी विनिमय बाजार के स्थिर हो जाने के बाद धीरे-धीरे वापस ले लिया जाएगा. बैंक ने कहा है कि विदेशी मुद्रा बाजार में स्थिरता कायम कर लेने के बाद वह पुन: मुद्रास्फीति के प्रति सतर्कता बरते हुए आर्थिक वृद्धि में मदद की नीति पर लौट आएगा.

आरबीआई मुद्रास्फीति को मार्च तक पांच प्रतिशत पर बरकरार रखने को कोशिश करेगा. उसका कहना है कि रुपए में कमजोरी से मुद्रास्फीति पर दबाव का खतरा बढ रहा है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा, :उसका: नीतिगत रख विदेशी घटना क्रम और विशेष रुप से वैश्विक वित्तीय बाजारों से उभर रहे खतरों के प्रति लगातर सर्तकता और इन खतरों से निपटने के कदम उठाने के लिए बरबार तैयार रहने की आवश्यकता से निर्देशित है.

रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 7.25 प्रतिशत पर बनाए रखा है. यह वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरुरत के लिए नकदी देता है. आरक्षित नकदी अनुपात :सीआरआर: को भी 4 प्रतिशत के पहले स्तर पर बना हुआ है. सीआरआर बैंकों के पास जमा राशि का वह हिस्सा है जिसे उन्हें रिजर्व बैंक के पर जमा कराना होता है.

आगे के नीतिगत दृष्टिकोण के संबंध में गवर्नर ने कहा है, आने वाले दिनों में मौद्रिक नीति आर्थिक वृद्धि में सहयोग देने, मुद्रास्फीतिक की प्रत्याशाओं पर अंकुश लगाने और वाह्य क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकताओं के आधार पर निर्धारित की जाएगी. मौद्रिक नीति की अगली मध्य-तिमाही समीक्षा से पहले सेवानिवृत्त होने वाले सुब्बाराव ने कहा कि नीतिगत पहल का उद्देश्य है वृहत्-आर्थिक स्थिरता व वृद्धि के सामने आने वाले जोखिम से निपटना और मुद्रास्फीतिक दबाव उभरने की आशंका से बचाव करना.

आरबीआई नकदी के हालात के प्रबंधन की भी कोशिश करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों में पर्याप्त रिण सुनिश्चित किया जा सके.

उन्होंने कहा कि सकल मुद्रास्फीति की मौजूदा स्थिति, अच्छे मानसून के मद्देनजर खाद्य मुद्रास्फीति में कमी की संभावना और वृद्धि में नरमी के कारण वृद्धि के अनुकूल नीति की आवश्यकता थी लेकिन वाह्य क्षेत्र की दिक्कतों को छोड़कर जो रुपए में 10 प्रतिशत की नरमी और बढ़ते चालू खाते के घाटे से दिखता है.

वाह्य क्षेत्र को वृहत्-आर्थिक स्थिरता को सबसे बड़ा जोखिम करार देते हुए सुब्बाराव ने सरकार की ओर से कैड को घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत के वहनीय स्तर पर लाने के लिए तुरंत नीतिगत कदम उठाने की अपील की और कहा कि आरबीआई इन कोशिशों में मदद के लिए हर उपाय करने के लिए तैयार है.

कमजोर रुपये को संभालने में लगे भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपनी सभी मुख्य ब्याज दरें अपरिवर्तित रखीं और सरकार से कहा कि चालू खाते के घाटे पर नियंत्रण के लिए वह तुरंत कदम उठाए.

केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: में वृद्धि के अपने अनुमान को 5.7 प्रतिशत से घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है और कहा है कि देश की आर्थिक स्थिरता के लिए इस समय सबसे बड़ा खतरा वाह्य क्षेत्र से है.

आरबीआई ने कहा है रुपये को संभालने के लिए उसने बैंकिंग तंत्र में नकदी कम करने के लिए हाल में जो सख्त उपाय किए हैं उन्हें विदेशी विनिमय बाजार के स्थिर हो जाने के बाद धीरे-धीरे वापस ले लिया जाएगा. बैंक ने कहा है कि विदेशी मुद्रा बाजार में स्थिरता कायम कर लेने के बाद वह पुन: मुद्रास्फीति के प्रति सतर्कता बरते हुए आर्थिक वृद्धि में मदद की नीति पर लौट आएगा.

आरबीआई मुद्रास्फीति को मार्च तक पांच प्रतिशत पर बरकरार रखने को कोशिश करेगा. उसका कहना है कि रुपये में कमजोरी से मुद्रास्फीति पर दबाव का खतरा बढ रहा है.

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