नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खाता खोलने के मामले में निजी क्षेत्र के बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से काफी पीछे हैं. वित्तीय समावेश के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के तहत निजी क्षेत्र के बैंकों ने चार महीने से अधिक समय में केवल करीब 30 लाख ही खाते खोले हैं.
वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने इसी अवधि में 8.62 करोड़ खाते खोले. यहां तक कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने भी इस दौरान 1.92 करोड़ बैंक खाते खोले. निजी क्षेत्र के बैंकों की बाजार हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत है लेकिन उनका सरकार का महत्वपूर्ण वित्तीय समावेशी कार्यक्रम में योगदान केवल 3 प्रतिशत है.
वित्त मंत्रालय के ताजा आंकडों के अनुसार निजी क्षेत्र के 13 बैंकों ने सात जनवरी तक 30.47 लाख जनधन बैंक खाता खोला जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 8.62 खाते खोले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्तीय समावेश के इस कार्यक्रम का 28 अगस्त 2014 को उद्घाटन किया था. इसके तहत 26 जनवरी 2015 तक 7.5 करोड़ बैंक खाता खोलना था लेकिन बाद में इसे बढाकर 10 करोड़ कर दिया गया. हालांकि यह लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जा चुका है.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा खोले गये खातों को मिला कर अब तक देश में सभी बैंकों ने कुल 10.84 करोड़ जनधन खाते खोले हैं. निजी बैंकों द्वारा खोले गए खातों में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक तथा जम्मू कश्मीर बैंक की हिस्सेदारी करीब दो तिहाई है.
एचडीएफसी बैंक ने 7.8 लाख जन धन खाते खोले हैं जबकि आईसीआईआई और जम्मू कश्मीर बैंक ने ऐसे क्रमश: 6.67 लाख तथा 6.06 लाख खाते खोले हैं. निजी क्षेत्र का तीसरे सबसे बडे बैंक एक्सिस बैंक ने 2.45 लाख तथा कोटक महिंद्रा बैंक ने 54,000 खाते खोले हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सबसे ज्यादा 2.15 करोड लोगों के जनधन खाते एसबीआई ने खोले हैं. उसके बाद क्रमश: पंजाब नेशनल बैंक (61.74 लाख), बैंक आफ बडौदा (58.47 लाख) तथा केनरा बैंक (53.79) का स्थान है.
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