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पिछले साल ऑनलाइन रिटेल की रही धूम

वर्ष 2014 ने विदा ले ली है. जाते-जाते इसने हमें ढेरों खुशियां दी हैं. सबसे ज्यादा खुशी लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग की वजह से हुई है. ढेर सारे ऑफर्स के साथ ऑनलाइन रिटेल कंपनियों ने कई तोहफे दिये. कंपनियों के बीच हुई स्पर्धा का सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिला. देश के 38 हजार अरब रु […]

वर्ष 2014 ने विदा ले ली है. जाते-जाते इसने हमें ढेरों खुशियां दी हैं. सबसे ज्यादा खुशी लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग की वजह से हुई है. ढेर सारे ऑफर्स के साथ ऑनलाइन रिटेल कंपनियों ने कई तोहफे दिये. कंपनियों के बीच हुई स्पर्धा का सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिला.

देश के 38 हजार अरब रु पये के समग्र खुदरा व्यापार का एक छोटा हिस्सा एक हजार अरब रु पये (16 अरब डॉलर) का ऑनलाइन रिटेल उद्योग वर्ष 2014 में विलय, अधिग्रहण और भारी-भरकम मूल्यांकन के कारण सुर्खियों में छाया रहा था. सबसे पहले दिसंबर में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने यातड्रॉटकॉम में अपनी 16 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी और 2006 में किये गये अपने निवेश रकम को 12 गुना बढ़ा लिया. इसके साथ ही पोर्टल का बाजार मूल्य 50 करोड़ डॉलर हो गया. ऑनलाइन रिटेल कंपनी फ्लिपकार्ट ने 70 करोड़ डॉलर की पूंजी जुटाई, जबकि उससे पहले भी कंपनी ने जुलाई में एक अरब डॉलर की पूंजी जुटायी थी.

इससे रातों-रात कंपनी का बाजार मूल्य छह अरब डॉलर हो गया. इसने एक अन्य इ-रिटेल कंपनी मिंत्र का भी अपने में विलय कर लिया. अक्तूबर में जापान की कंपनी सॉफ्टबैंक ने एक इ-रिटेल कंपनी स्नैपडील में 62.7 करोड़ डॉलर निवेश करने और देश के 19 शहरों में किराये पर कार उपलब्ध करानेवाली कंपनी ओला में 21 करोड़ डॉलर निवेश करने का फैसला किया. अमेरिकी ऑनलाइन रिटेल कंपनी अमेजन ने भी पीछे न रहते हुए कहा कि वह भारतीय इ-रिटेल उद्योग में दो अरब डॉलर निवेश करेगी.

भारत में केपीएमजी के प्रबंधन परामर्श साङोदार अश्विन वेलोडी ने कहा, ‘(इ-कॉमर्स उद्योग के लिए) यह सरगर्मी भरी अवधि रही. अच्छी बात यह हुई कि आखिरी जीत ग्राहकों की हो रही है. हर ओर से दबाव है और उसका लाभ ग्राहकों को मिल रहा है.’ 16 अरब डॉलर का इ-कॉमर्स उद्योग सालाना 30-40 फीसदी की दर से विस्तार कर रहा है और अगले पांच साल में इसके 100 अरब डॉलर का हो जाने का अनुमान है. वाणज्यि मंत्रलय के अंतर्गत पड़नेवाले इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आइबीइएफ) के आंकड़े के मुताबिक देश में इस समय करीब 10 लाख ऑनलाइन रिटेल कंपनियां काम कर रही हैं. फ्लिपकार्ट को हालांकि छह अक्तूबर को आयोजित ‘बिग बिलियन डे’ सेल में शर्मिदगी का सामना करना पड़ा. वेबसाइट पर विशाल पैमाने पर ग्राहकों के आ जाने से वेबसाइट कुछ समय के लिए ठप्प हो गयी. कंपनी ने हालांकि यह भी बताया कि ऑफर शुरू होने के कुछ ही मिनटों के अंदर भारी बिक्री दर्ज की गयी थी. इस बिक्री से पारंपरिक खुदरा व्यापारी स्पब्ध रह गये.

खुदरा व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स वाणज्यि मंत्रलय से इ-रिटेल क्षेत्र पर नियम कसने की मांग की, लेकिन कुछ प्रमुख उद्योग संघों द्वारा गैरजरूरी नियमन से बचने की सलाह के बाद यह मुद्दा ठंडा पड़ गया. इस वर्ष में कई पारंपरिक रिटेल कंपनियों के इ-रिटेल क्षेत्र में अपना तेज विस्तार करने की उम्मीद है. इसके अलावा कुछ इ-रिटेल कंपनियां पूंजी जुटाने की अगली कवायद के तहत शेयर बाजारों में सूचीबद्ध भी हो सकती हैं.

2014 के कुछ प्रमुख घटनाक्र म इस प्रकार रहे

अमेरिकी कंपनी अमेजन ने भारतीय इ-कॉमर्स क्षेत्र में दो अरब डॉलर निवेश करने की घोषणा की.

सॉफ्टबैंक ने स्नैपडील में 62.7 करोड़ डॉलर और ओला कैब्स में 21 करोड़ डॉलर का निवेश किया.

रिलायंस समूह ने यातड्रॉटकॉम में अपनी 16 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी और 2006 में किये गये अपने निवेश रकम को 12 गुना बढ़ा लिया.

फ्लिपकार्ट में 1.7 अरब डॉलर पूंजी निवेश से कंपनी का बाजार मूल्य सात अरब डॉलर रहा.

पारंपरिक रिटेल कारोबारियों ने इ-रिटेल कारोबार पर नियमन सख्त करने की मांग की, लेकिन विशेषज्ञों की राय पर मुद्दा ठंडा रहा.

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