नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक जल्दी ही विवादास्पद एफडीआई प्रेस नोट 2 और 3 को अधिसूचित करेगा. इस प्रेस नोट में स्वामित्व अथवा नियंत्रण की परिभाषा दी गयी है. कंपनी विदेशी है अथवा घरेलू इकाई है यह तय करने के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है.
पिछले चार साल से लंबित इस अधिसूचना का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिये किया जाएगा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तय एफडीआई सीमा तथा अन्य नियमों के अनुरुप हो.
औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, वित्त मंत्रालय ने फेमा के तहत अधिसूचना के लिये प्रेस नोट रिजर्व बैंक को भेजा है. यह कभी भी हो सकता है. प्रेस नोट के अनुसार किसी कंपनी में बहुसंख्यक निदेशकों को नियुक्त करने का अधिकार यदि किसी भारतीय कंपनी अथवा नागरिक के पास है तो उसे भारतीय नागरिक द्वारा नियंत्रित कंपनी माना जायेगा.
दूसरी तरफ किसी कंपनी में यदि उसकी 50 प्रतिशत से अधिक इक्विटी भारतीय उद्यम के पास है तो उसे भारतीय निवासी के स्वामित्व वाली कंपनी माना जायेगा. इसी प्रकार यदि कंपनी में 50 प्रतिशत से अधिक इक्विटी किसी प्रवासी के पास है तो उसे विदेशी कंपनी की श्रेणी में रखा जायेगा.
अधिकारी ने कहा कि इन प्रेस नोट्स की अधिसूचना से नियंत्रण के बारे में व्यापक परिभाषा बनाने में मदद मिलेगी. इसके लिए पहले ही एक कैबिनेट नोट जारी कर दिया गया है.
अधिसूचना में चार साल से ज्यादा का विलंब हो चुका है क्योंकि वित्त मंत्रालय और औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) इसको लेकर सहमत नहीं थे.
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