नयी दिल्ली : डीजल की कीमतों को बाजार के अधीन करने के बाद मोदी सरकार की नजरें अब घरेलू गैस की सब्सिडी पर है. अब तक केवल सिलिंडरों की संख्या निश्चित थी, जबकि सब्सिडी पर कोई पाबंदी नहीं है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि मंत्रालय और खपत विभाग के बीच चर्चा के बाद सब्सिडी तय करने की नयी प्रक्रि या शुरू की जायेगी.
वर्तमान में उपभोक्ता सब्सिडीवाले 12 सिलिंडर के लिए बाजार मूल्य से आधी कीमत चुका रहे हैं. इस प्रक्रिया के तहत सिलिंडर की संख्या वही रहेगी, लेकिन कीमत में बदलाव होता रहेगा. अब तक मूल्य वही रहता था, लेकिन सब्सिडी बदलती रहती थी. पिछले साल सरकार और इसकी कंपनियों को बाजार मूल्य से कम पर एलपीजी बेचने से 46,400 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था. अब नये तंत्र के तहत सब्सिडी का सामयिक मूल्यांकन होगा, जिससे सब्सिडी का भार समान रहे.
– सरकार का दावा
* पिछले साल कंपनी व सरकार को हुआ 46,400 करोड़ का नुकसान
* उपभोक्ता सब्सिडीवाले सिलिंडर पर बाजार मूल्य से कम पैसे दे रहे
* कीमत में समय-समय पर होता रहेगा बदलाव
* सिलिंडरों की संख्या में बदलाव नहीं
– वर्तमान व्यवस्था : यूपीए सरकार ने जून, 2010 में पेट्रोल को बाजार के अधीन करने के साथ ही सब्सिडीयुक्त सिलिंडरों की संख्या तय कर दी थी. इससे सरकार का उद्देश्य घरेलू गैस के व्यापारिक उपयोग पर रोक लगाने का था. उपभोक्ता को 12 सिलिंडर लेने के बाद घरेलू गैस पर बाजार मूल्य चुकाना पड़ता है. एनडीए सरकार ने लोगों के खातों को आधार कार्ड के जरिये सिलिंडर सिस्टम से जोड़ने के काम को आगे बढ़ाया. साथ ही आधार कार्ड नहीं होने पर सब्सिडी का पैसा बैंक अकाउंट में सीधे जमा कराने की अनुमति भी दी.
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