नयी दिल्ली : पेट्रोल की तरह ही केंद्र सरकार ने डीजल के दामों को भी बाजार के हवाले करने की तैयारी की है. इसके साथ ही दीवाली से पहले डीजल की कीमतों में लगभग 3 रुपये की गिरावट होने की उम्मीद है. थोक बाजार में अभी तेल कंपनियों का घाटा समाप्त हो गया है और उन्हें लगभग पौने तीन रुपये का फायदा हो रहा है.
तेलकंपनियों ने मंगलवार को पेट्रोल की कीमतें भी एक रुपये प्रति लीटर घटायी हैं. आज से ये कीमतें लागू हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनाव से पूर्व डीजल की कीमतों में गिरावट नहीं करने का फैसला किया गया था. सरकार की ओर से डीजलों की कीमतें कम रखने के बीच तेल कंपनियों को लगातार घाटा उठाना पड़ रहा था.
इससे बचने के लिए सरकार ने पहले पेट्रोल को बाजार के हवाले करते हुए निर्देश दिया कि क्रूड आयल की कीमतों के हिसाब से तेल कंपनियां ही पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण करेंगी. साथ ही तेल कंपनियों को हर माह में दो बाद कीमतें घटाने या बढ़ाने का निर्देश भी दिया गया.
आज सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार पिछले माह से डीजल के दाम घटाने की तैयारी कर रही थी. इधर डीजल में घाटे को पाटने के लिए सरकार ने हर माह डीजल की कीमतों में 50 पैसे की बढ़ोतरी करने का निर्णय भी किया था. वहीं कच्चे तेल के दामों में गिरावट और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में कटौती के तहत पिछले माह ही डीजल पर कंपनियों का मुनाफा बढ़ गया है.
ऐसे में सरकार के पास कीमतें घटाने की सिफारिश लगातार आ रही है. हरियाण और महाराष्ट्र में चुनाव के मद्देनजर सरकार ने चुनाव आयोग से भी सलाह मांगी थी. चुनाव आयोग ने 19 अक्टूबर को मतगणना के बाद डीजल की कीमतें घटाने की सलाह दी. अगर डीजल के दाम घटाये जाते हैं तो यह चार साल बाद होगा जब डीजल की कीमतों में गिरावट होगी.
पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों को डीजल की बिक्री पर लाभ होना शुरु हुआ है. यह पहला मौका है जबकि पेट्रोलियम कंपनियों को डीजल की बिक्री पर लाभ हो रहा है.
महाराष्ट्र और हरियणा में विधानसभा चुनाव की वजह से आचार संहिता लागू है. कीमतों में कटौती एक नई नीति होती, ऐेसे डीजल कीमतों में संशोधन को टाला गया.
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