नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत पर आज चिंता व्यक्त की, लेकिन साथ ही कहा कि फिलहाल निराश होने की कोई वजह नहीं है.
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मुखर्जी के हवाले से कहा गया है कि चिंतित होने की वजह है, लेकिन निराश होने की कोई वजह नहीं. मुखर्जी ने यह बात भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कही.
आर्थिक वृद्धि बहाल होने की उम्मीद जताते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले 10 साल में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की जो 1951 के बाद किसी भी दशक में सबसे अधिक है.’’ मुखर्जी ने कहा कि भारत और चीन सहित उभरती अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक आर्थिक वृद्धि में योगदान कर रही हैं और देश की विदेश नीति बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखकर अपनाई जानी आवश्यक है.
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत की विदेश नीति बदलते वैश्विक परिदृश्य के मुताबिक होनी आवश्यक है. दुनिया यह बात पहचानती है कि मुख्य वृद्धि उभरती अर्थव्यवस्थाओं विशेषकर चीन और भारत से आ रही है और जी.20 जैसे सभी प्रमुख वैश्विक मंचों में आज भारत एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है.
‘‘ वैश्विक अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में है और अभी तक आर्थिक संकट से उबर नहीं सकी है. पश्चिम एशिया, अफ्रीका और भारत के पड़ोस में प्रमुख राजनीतिक बदलाव हो रहे हैं.’’ उल्लेखनीय है कि आईएफएस के 34 प्रशिक्षुओं ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात की. मुखर्जी ने उन्हें आर्थिक कूटनीति एवं उर्जा सुरक्षा व खाद्य सुरक्षा जैसे मामलों में स्वयं को और समर्थ करने को कहा.
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