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ओबीसी और देना बैंक का फारेंसिक ऑडिट का आदेश, 436 करोड रुपये का घोटाला

मुंबई: सरकार ने संदिग्ध घोटाले के सिलसिले में सार्वजनिक क्षेत्र के ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स और देना बैंक में फारेंसिक ऑडिट का आदेश दिया है. यह मामला ग्राहकों की 436 करोड रुपये की सावधि जमा राशि के दुरुपयोग से जुडा है. वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाओं के सचिव जी.एस. संधु से जब इस कथित घोटाले […]

मुंबई: सरकार ने संदिग्ध घोटाले के सिलसिले में सार्वजनिक क्षेत्र के ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स और देना बैंक में फारेंसिक ऑडिट का आदेश दिया है. यह मामला ग्राहकों की 436 करोड रुपये की सावधि जमा राशि के दुरुपयोग से जुडा है. वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाओं के सचिव जी.एस. संधु से जब इस कथित घोटाले के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘इस बारे में फारेंसिक ऑडिट का आदेश पहले ही दे दिया गया है.’ उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को निलंबित भी किया गया है.

हालांकि, उन्होंने इसके साथ ही यह भी जोडा कि यह व्यक्तिगत अधिकारी के स्तर पर किये गये असामान्य व्यवहार का मामला है इसमें बैंकिंग प्रणाली की असफलता नहीं है. उन्होंने कहा, ‘यह ऐसे मामले हैं जो जांच-पडताल की कमी अथवा नियमों और प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं करने की वजह से बैंक शाखा के स्तर पर निचले स्तर पर होते हैं.’ मामले में कथित तौर पर बैंकों में सावधि जमा के तौर पर प्राप्त राशि को निकाल लिया गया. इसमें 180 करोड रुपये ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स से और 256 करोड रुपये देना बैंक से निकाले गये.

संधू ने कहा, ‘इस मामले के लिये जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जा रही है, कुछ निलंबन किये गये हैं, कुछ स्थानांतरण हुये हैं और जांच कार्य भी चल रहा है.’ संधू यहां रीयल एस्टेट उद्यमियों के संगठन नारडेको के एक कार्यक्रम में अलग से संवाददताओं से बात कर रहे थे.वित्त मंत्रालय के इस वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि बैंकों में अधिकारियों के लिये जोखिम प्रबंधन प्रशिक्षण पर भी विचार किया जा रहा है. उप-महाप्रबंधक और महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों को प्रोन्नति से पहले जोखिम प्रबंधन का पाठ पढाया जाना चाहिये.

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में यह ताजा घटनाक्रम सिंडीकेट बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस.के. जैन के भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार होने के एक पखवाडे के भीतर ही सामने आया है. जैन पर भूषण स्टील तथा अन्य कंपनियों से उनकी ऋण सीमा बढाने के लिये 50 लाख रुपये रिश्वत लिये जाने का आरोप है. रिजर्व बैंक के नवनियुक्त डिप्टी गवर्नर एस.एस. मुंद्रा ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है.

उन्होंने कहा कि नियमन के मामले में अधिकारियों को अधिक गंभीर बनाने की आवश्यकता है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘व्यक्तिगत स्तर पर असफलता के मामले हुये हैं लेकिन इसके लिये एक प्रक्रिया है. हम इस मामले को देखेंगे. हमारा मानना है कि जो भी मौजूदा नियमन हैं वह बेहतर है, फिर भी ऐसे बातें क्यों होतीं हैं उसकी वजह है नियमों का पालन नहीं करना.’

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