मुंबई: अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया आज 110 पैसे की जबर्दस्त गिरावट के साथ अब तक के रिकार्ड निम्न स्तर 58.16 रुपये प्रति डालर पर बंद हुआ.
पहले से ही कमजोर निर्यात और सुस्त मांग से जूझती अर्थव्यवस्था के लिये यह बड़ा झटका है. पिछले करीब डेढ महीने में रुपया आठ प्रतिशत लुढक चुका है. रुपये की गिरावट से आयात महंगा होगा और मुद्रास्फीति जोखिम बढ़ेगा जिसका असर पहले से ही रिकार्ड उंचाई पर पहुंचे चालू खाते के घाटे की स्थिति और बिगड़ेगी.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती से डालर के मजबूत होने के बीच इसकी मांग बढ़ने और घरेलू बाजार में पूंजी प्रवाह कमजोर पड़ने से रुपये पर दबाव बढ़ गया. यही वजह है कि गत 30 अप्रैल के बाद से डालर के मुकाबले रुपया 8 प्रतिशत गिर चुका है. 30 अप्रैल को डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर 53.80 रुपये पर थी.
विदेशी मुद्रा डीलरों के अनुसार रुपये में आई भारी गिरावट को थामने के लिये रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया ऐसे कुछ नहीं दिखाया दिया, लेकिन उम्मीद बंधी है कि केंद्रीय बैंक रुपये में जारी भारी गिरावट और सट्टेबाजी को थामने के लिये पिछले साल की ही तरह बैंकों के अल्पकालिक बड़े सौदों पर प्रतिबंध लगायेगा.
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