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औद्योगिक उत्पादन में आठ साल की सबसे बड़ी गिरावट

नयी दिल्ली : घरेलू अर्थव्यवस्था में नरमी बनी हुई है. इसका अंदाजा औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़ों से लगता है. विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों में उत्पादन में गिरावट के चलते सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन में 4.3 फीसदी का संकुचन हुआ. यह आठ साल में सबसे बड़ी गिरावट है. तीनों व्यापार आधार वाले क्षेत्रों […]

नयी दिल्ली : घरेलू अर्थव्यवस्था में नरमी बनी हुई है. इसका अंदाजा औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़ों से लगता है. विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों में उत्पादन में गिरावट के चलते सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन में 4.3 फीसदी का संकुचन हुआ. यह आठ साल में सबसे बड़ी गिरावट है. तीनों व्यापार आधार वाले क्षेत्रों पूंजीगत वस्तुओं, टिकाऊ उपभोक्ता तथा बुनियादी ढांचा एवं निर्माण वस्तुओं के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गयी.

सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़े के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर आकलित औद्योगिक उत्पादन में सितंबर 2019 में 4.3 फीसदी की गिरावट आयी, जबकि सितंबर, 2018 में 4.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी थी. अगस्त, 2019 में इसमें 1.4 फीसदी की गिरावट आयी थी. यह लगातार दूसरा महीना है, जब आईआईपी नीचे आया. इस कारण आईआईपी में अक्टूबर, 2011 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है. उस दौरान इसमें 5 फीसदी की गिरावट आयी थी.

तिमाही आधार पर 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में आईआईपी में 0.4 फीसदी की गिरावट आयी, जबकि पहली तिमाही में इसमें 3 फीसदी तथा वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में 5.3 फीसदी की वृद्धि हुई थी. निवेश का आईना माने जाने वाले पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन सितंबर, 2019 में 20.7 फीसदी घटा, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 6.9 फीसदी की वृद्धि हुई थी. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में आलोच्य महीने में क्रमश: 9.9 फीसदी और निर्माण वस्तुओं के उत्पादन में 6.4 फीसदी की गिरावट आयी.

हालांकि, मध्यवर्ती वस्तुओं के उत्पादन में सितंबर महीने में 7 फीसदी की वृद्धि हुई. सितंबर महीने में आईआईपी में गिरावट से आर्थिक वृद्धि में निकट भविष्य में तेजी की उम्मीद को झटका लगा है. आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 5 फीसदी रही, जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) आंकड़ा 29 नवंबर को आना है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेन्द्र कुमार पंत ने कहा कि आईआईपी में काफी उतार-चढ़ाव रहा है और कुछ महीनों में जो तेजी दिखी थी, वह गायब हो गयी. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल वृद्धि के मामले में संरचनात्मक नरमी से गुजर रही है. इसका कारण घरेलू बचत दर में गिरावट तथा कृषि क्षेत्र में वृद्धि में गिरावट है. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर छमाही में आईआईपी वृद्धि मात्र 1.3 फीसदी रही, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी.

औद्योगिक उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र की कमजोरी है. सितंबर महीने में विनिर्माण क्षेत्र में 3.9 फीसदी की गिरावट आयी, जबकि एक साल पहले इसी महीने विनिर्माण क्षेत्र में 4.8 फीसदी की वृद्धि हुई थी. बिजली उत्पादन भी आलोच्य महीने में 2.6 फीसदी घटा, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 8.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी. खनन क्षेत्र के उत्पादन में सितंबर में 8.5 फीसदी की गिरावट रही. गत वर्ष सितंबर में इस क्षेत्र में 0.1 फीसदी की वृद्धि हुई थी.

उपयोग आधारित वर्गीकरण के तहत सितंबर, 2018 के मुकाबले इस साल इसी महीने में प्राथमिक वस्तुओं में 5.1 फीसदी जबकि बुनियादी ढांचा और निर्माण वस्तुओं में 6.4 फीसदी की गिरावट आयी. मध्यवर्ती वस्तुओं के मामले में इस अवधि में 7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी. उद्योग के हिसाब से देखा जाए, तो इस साल सितंबर महीने में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले विनिर्माण क्षेत्र में 23 औद्योगिक समूह में से 17 में गिरावट दर्ज की गयी.

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