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साइकिल घोटाले के आरोपी अफसर को फिर मनपसंद पद

गरीब छात्रों की साइकिलें बाजार में बेचने का है आरोप चतरा में है प्राथमिकी दर्जविशेष संवाददाता रांची : सरकार ने गरीब छात्रों की साइकिलें बाजार में बेचनेवाले अफसर अवधेश कुमार सिन्हा को फिर से चतरा में जिला कल्याण पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित कर दिया है. विभिन्न प्रकार की वित्तीय गड़बडि़यों के मद्देनजर इस अधिकारी […]

गरीब छात्रों की साइकिलें बाजार में बेचने का है आरोप चतरा में है प्राथमिकी दर्जविशेष संवाददाता रांची : सरकार ने गरीब छात्रों की साइकिलें बाजार में बेचनेवाले अफसर अवधेश कुमार सिन्हा को फिर से चतरा में जिला कल्याण पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित कर दिया है. विभिन्न प्रकार की वित्तीय गड़बडि़यों के मद्देनजर इस अधिकारी को चतरा से हटाया गया था. इसी जिले में इस अधिकारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज है. संबंधित अधिकारी फिलहाल गिरफ्तारी के डर से फरार बताया जाता है. प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने चतरा जिले में कल्याण विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की जांच के बाद वर्ष 2013 में सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि गरीब छात्रों को मुफ्त दी जानेवाली साइकिलों को इस अधिकारी के कार्यकाल में 1000 रुपये की दर से बाजार में बेचा गया था. सिमरिया पुलिस ने सड़मा गांव के बगीचा में योगेंद्र राणा को कल्याण विभाग की साइकिलें 1000 रुपये की दर से बेचते हुए पकड़ा था. बगीचे से 17 साइकिलें जब्त की गयी थीं. योगेंद्र राणा ने पुलिस को यह जानकारी दी थी कि नाजिर रीतन राम ने बेचने के लिए उसे साइकिलें दी थीं. इस सिलसिले में सिमरिया थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.ऑडिट टीम ने जिले को मिली साइकिलों की जांच पड़ताल के बाद 27 साइकिलें गायब पायी. जिला कल्याण कार्यालय के अधिकारी इन गायब साइकिलों के सिलसिले में कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे सके थे, ना ही इन गायब साइकिलों के सिलसिले में कार्यालय की ओर से कोई प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी, इसलिए पीएजी ने जिला कल्याण कार्यालय के अधिकारियों की सांठगांठ के इन साइकिलों को भी बाजार में बेच दिये जाने की आशंका जतायी थी. पीएजी की यह रिपोर्ट कल्याण विभाग में दबी पड़ी थी. पीएजी द्वारा रिपोर्ट की प्रतिलिपि वित्त विभाग को भेजे जाने के बाद वित्त सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने इस मामले में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इसी अधिकारी के कार्यकाल में चतरा जिले में छात्रवृत्ति घोटाला हुआ था. उपायुक्त ने छात्रवृत्ति घोटाले में अवधेश सिन्हा सहित अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता को देखते हुए सरकार के प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में यह पाया गया था कि इस अधिकारी की मिलीभगत से फर्जी जाति प्रमाण पत्र और अन्य फर्जी दस्तावेज के आधार पर छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम दिया गया था. इसमें शैक्षणिक संस्थानों को शिक्षण शुल्क देने के बदले छात्रों के नाम ही शिक्षण शुल्क का भुगतान किया गया था. कल्याण पदाधिकारी द्वारा शिक्षण शुल्क में जारी किये चेकों को हजारीबाग के बैंकों में ही भुनाया गया था.

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