सरकार ने हाइकोर्ट को बताया, फ्रेंचाइजी बरकरार रहा, तो 16 वर्ष में 15000 करोड़ का होगा नुकसानआज भी होगी सुनवाईरांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आरआर प्रसाद की अदालत में बिजली फ्रेंचाइजी करार रद्द करने के राज्य सरकार के निर्देश को चुनौती देनेवाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. सुनवाई जारी रही. बहस पूरी नहीं होने पर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तिथि निर्धारित की. प्रार्थी की ओर से कोलकाता हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता समरादित्य पाल व आनंद सेन ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने बिजली फ्रेंचाइजी करार रद्द करने के लिए तीन जुलाई को झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम को आदेश दिया है. राज्य सरकार के पास करार रद्द करने का आदेश नहीं देने का अधिकार नहीं है. सरकार के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया. टाटा पावर लिमिटेड की ओर से भी पक्ष रखा गया तथा सरकार की कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया गया. प्रार्थियों की दलील को खारिज करते हुए राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजेश शंकर ने अदालत को बताया कि सरकार के पास अधिकार है. सरकार ने फ्रेंचाइजी करार मामले की जांच करायी. इसमें पाया गया कि निविदा के बाद प्रति यूनिट दो रुपये से घटा कर 1.77 रुपये कर दी गयी है. वैसी परिस्थिति में सरकार को 16 वर्षों के दौरान कम से कम 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. राजस्व की क्षति का अनुमान होने के बाद सरकार ने करार रद्द करने के लिए ऊर्जा विकास निगम को पत्र लिखा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की ओर से याचिका दायर कर सरकार के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है. टाटा पावर की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर की गयी है.
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