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पैसिव इनकम से ऐसे सुदृढ़ करें आमदनी

विक्रम सांखला, आर्थिक विशेषज्ञ मुंबई : आज के समय में तकनीक और ऑटोमेशन में हो रही प्रगति के साथ-साथ कंपनियां अपने खर्चे को कम करने में लगी हुई हैं. ऐसे में अच्छी सैलेरी व पेंशन वाली नौकरी मिलनी मुश्किल होती जा रही है और जब किसी व्यक्ति को अपने आर्थिक लक्ष्य को निर्धारित करते हुए […]

विक्रम सांखला,

आर्थिक विशेषज्ञ

मुंबई : आज के समय में तकनीक और ऑटोमेशन में हो रही प्रगति के साथ-साथ कंपनियां अपने खर्चे को कम करने में लगी हुई हैं. ऐसे में अच्छी सैलेरी व पेंशन वाली नौकरी मिलनी मुश्किल होती जा रही है और जब किसी व्यक्ति को अपने आर्थिक लक्ष्य को निर्धारित करते हुए फाइनेंसियल प्लानिंग करने की बात होती है, तो उसमें उसकी नियमित आय के साथ अन्य स्रोतों से होनेवाली आय को जरूर रखना चाहिए.

कोई भी व्यक्ति दो तरह से आय करता है – प्रत्यक्ष और परोक्ष (एक्टिव और पैसिव). जब आपको एक निश्चित घंटे तक काम करने के एवज में या किसी अन्य शर्तों के अनुसार काम करने पर लगातार आय होती है, तो उसे प्रत्यक्ष आय कहा जाता है. वहीं, जब अपने पैसे को निवेश करते हुए आप उससे लगातार आय प्राप्त करते हैं, तो उसे परोक्ष या पैसिव आय कहा जाता है. सामान्यतया, लोग प्रत्यक्ष आय पर ज्यादा ध्यान देते हैं और उसके बाद बचत पर लग जाते हैं. अपनी इस बचत को सही तरीके से निवेश करके भी आय की जा सकती है.

आज के डिजिटल इंडिया के वातावरण में परोक्ष आय के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हो गये हैं. आप अपने खुद के वेबसाइट या ब्लॉग बना सकते हैं और उसे गुगल एडसेंस से जोड़ सकते हैं. आपके वेबसाइट के कंटेंट को देखते हुए गुगल एडसेंस वेबसाइट पर आनेवाले विज्ञापनों को बदलते रहता है.

आपके वेबसाइट पर जितनी ज्यादा हिट्स मिलती है यानी जितने ज्यादा लोग उसे देखते हैं, उसके अनुसार आपको उसका पैसा हर माह मिलता है. आप अपनी इस आमदनी को बचाते हुए उसे अपनी क्षमता के अनुसार किसी अन्य ऑनलाइन बिजनेस में निवेश कर लाभ अर्जित कर सकते हैं.

आइए, आय के स्रोत में सबसे पहले फ्रीलायंस जॉब को लेते हैं. पहले के जमाने में इस तरह के जॉब का मतलब होता था कि कोई बेरोजगार या जरूरतमंद व्यक्ति एक छोटी राशि के लिए अतिरिक्त काम करता था, लेकिन बदलते परिवेश में आज यह कार्य एक इंडस्ट्री का रूप ले चुका है.

आज विश्व में अमेरिका के बाद भारत का स्थान आता है, जहां डेढ़ करोड़ लोग फ्रीलांस जॉब कर रहे हैं. ये सभी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जैसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, फिनांस, सेल्स व मार्केटिंग, डिजाइनिंग, एनिमेशन, वीडियोग्राफी, कंटेंट एंड एकेडमिक राइटिंग आदि. ऐसा अनुमान है कि 2020 तक लगभग आधा वर्कफोर्स इस तरह के कार्य में रहेगा.

भारत में होनेवाले स्टार्ट-अप अपने आधे से अधिक कार्य के लिए फ्रीलांस वर्कफोर्स को ही ले रहे हैं. इतना ही नहीं, ये फ्रीलांस वर्कफोर्स अब कंपनी के प्रबंधन में भी अपना योगदान कर रहे हैं जिससे कंपनी सही तरीके से आगे बढ़ता जाये.

पेमेंट गेटवे का काम करनेवाली दुनिया की नामी कंपनी पेपल ने अपने सर्वे के आधार पर बताया है कि भारतीय फ्रीलांस करनेवाले लोग औसतन 19 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं.

इनमें अधिकतर 40 की उम्र वाले लोग हैं. इसने यह भी बताया कि भारतीय शहरों में 60 फीसदी और गांवों में 53 फीसदी लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं. सर्वे में शामिल किये गये 500 फ्रीलांस करनेवाले लोगों में से 23 प्रतिशत लोगों की वार्षिक आय 40-45 लाख है. आप भी एक कदम बढ़ाएं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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