मुंबई: सरकारी कंपनियों को निजी कंपनियों की तरह 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियम का पालन करना चाहिए है. यह बात बाजार नियामक सेबी ने कही.
सेबी के अध्यक्ष यू के सिन्हा ने उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित पूंजी बाजार समारोह के मौके पर संवाददाताओं से कहा ‘‘हम सरकार से बात कर रहे हैं कि न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी का दिशानिर्देश इस पर निर्भर नहीं करना चाहिए कि इसका मालिक कौन है.’’उन्होंने कहा ‘‘सेबी के नियम का स्वामित्व के स्वरुप से कोई लेना-देना नहीं है. हमारा लक्ष्य है कि सभी कंपनियों पर एक ही तरह के कानून लागू होने चाहिए चाहे उन कंपनियों की बहुलांश हिस्स्ेदारी सरकार के पास ही क्यों न हो.’’ सिन्हा ने कहा कि नियामक ने सरकार के सामने यह मामला उठाया है कि यदि ये कंपनियां अपने शेयर सूचीबद्ध करना चाहती हैं तो उन्हें कम से कम 25 प्रतिशत शेयर की सार्वजनिक करना (बाजार में सूचीबद्ध) चाहिए.
सिन्हा ने कहा ‘‘नियामक के तौर पर हमारा रख यह है कि सभी कंपनियों के साथ सभी मामलों में एक ही तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए.’’ फिलहाल निजी कंपनियों के लिए कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सेदारी को सार्वजनिक करना जरुरी है जबकि सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के लिए यह सीमा सिर्फ 10 प्रतिशत है. सेबी ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी का नियम लागू किया था. उसके बाद विप्रो जैसी कई बडी कंपनियों को प्रवर्तक हिस्सेदारी कम करनी पडी थी.करीब 30 ऐसी सूचीबद्ध कंपनियां हैं जिनकी सार्वजनिक हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से कम है. जिन प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से अधिक है उनमें कोल इंडिया, सेल, एमएमटीसी, एनएचपीसी, एनएमडीसी और एसजेवीएन शामिल हैं.
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