नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के आरंभिक विश्लेषण बताते हैं कि अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. कर के लिए खुद ही पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढ़ी है. केंद्रीय वित्त एवं काॅरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने संसद में 2017-18 की आर्थिक समीक्षा पेश की.
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इसमें कहा गया है कि देश के निर्यात में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडू और तेलंगाना की 70 फीसदी तक हिस्सेदारी है. खासतौर पर जो छोटे उद्यमी हैं और जो बड़े उद्योगों से खरीदारी करते हैं, वह स्वयं कर जमा कराना चाहते हैं. इसमें कहा गया है कि दिसंबर 2017 तक 98 लाख जीएसटी पंजीकरण हुए हैं. जीएसटी के अनेक लाभों में से एक लाभ यह है कि इसका स्वैच्छिक अनुपालन किया जाता है. यह बात इससे स्पष्ट हो जाती है कि 17 लाख ऐसे कारोबारियों ने पंजीकरण कराया है, जिनका कारोबार जीएसटी की तय सीमा से कम है. उनके लिए पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं है तो भी वह पंजीकरण कराते हैं.
वास्तव में अनुमानित कुल 7.10 करोड़ गैर-कृषि उद्यमों में से लगभग 13 फीसदी जीएसटी में पंजीकृत है. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात ऐसे राज्य है, जिनमें जीएसटी के तहत पंजीयकों की संख्या सबसे अधिक है. उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कर-पंजीकरण की संख्या में पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गयी है. मौजूदा आंकड़ों से ज्ञात होता है कि जीएसटी कर आधार (निर्यात को छोड़कर) 65 से 70 लाख करोड़ रुपये है, जो इन दो पूर्ववर्ती अनुमानों के काफी हद तक समान है.
आरंभिक कुछ महीनों के दौरान किये गये औसत संग्रहण दर (कर भार) लगभग 15.6 फीसदी है. जीएसटी विवरणियों से अंतर-राज्य व्यापार और इसके अनेक संबंधित आयामों पर प्रत्यक्ष आंकड़ें मिले हैं. और भी उत्साहजनक बात यह है कि भारत के इतिहास में पहली बार हम वस्तु और सेवाओं के अंतरराष्ट्रीय निर्यातों के राज्य-वार वितरण के बारे में जान पाये हैं. पांच राज्य-महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना इस क्रम में भारत के कुल निर्यातों में 70 फीसदी के भागीदार हैं.
पिछले वर्ष की आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया था कि भारत का आंतरिक व्यापार जीडीपी का 30 से 50 फीसदी के बीच था, जोकि अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है. जीएसटी आंकड़ों से यह पता चलता है कि भारत का वस्तु और सेवाओँ में (गैर-जीएसटी माल और सेवाओं को छोड़कर) आंतरिक व्यापार वास्तव में जीडीपी का लगभग 60 फीसदी है.
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