नयी दिल्ली : दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के बीच अक्सर विवाद का विषय बनने वाले इंटरनेक्टिविटी के मुद्दे का समाधान करने के लिए दूरसंचार नियामक ट्राई ने मंगलवार को एक व्यवस्था दी है. इसके तहत किसी सेवाप्रदाता के नेटवर्क कनेक्टिविटी का आवेदन प्राप्त होने 30 दिन के भीतर कंपनियों को बिना किसी भेदभाव के इंटरनेक्टिविटी समझौता करना होगा.
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इंटरकनेक्टिविटी का मतलब एक कंपनी के नेटवर्क का कॉल दूसरे कंपनी के नेटवर्क से जुड़ने से है. ट्राई ने नये नियमों का उल्लंघन करने पर प्रत्येक सेवा क्षेत्र (देश भर में कुल 22 सेवाक्षेत्र हैं) में प्रति दिन एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया है.
भारतीय दूरसंचार नियामक एवं विकास प्राधिकरण (ट्राई) ने दूरसंचार इंटरकनेक्शन विनियमन-2018 जारी किये. इसमें नेटवर्क कनेक्टिविटी समझौते के विविध नियमों को शामिल किया गया है. इसमें पॉइंट ऑफ इंटरकनेक्ट की वृद्धि, प्रारंभिक स्तर पर इस तरह की कनेक्टिविटी के प्रावधान, लागू शुल्क, इंटरकनेक्ट वाले पॉइंट को हटाना और इंटरकनेक्शन मुद्दों पर वित्तीय हतोत्साहन इत्यादि के नियम को शामिल किया गया है.
ट्राई ने एक बयान में कहा कि यह नियम एक फरवरी, 2018 से प्रभावी होंगे और भारत में दूरसंचार सेवा देने वाली सभी कंपिनयों को इन नियमों का पालन करना होगा. दूरसंचार नियामक ने कहा कि इन नियमों के तहत प्राधिकरण ने व्यवस्था दी है कि हर सेवा प्रदाता को किसी सेवा प्रदाता से इंटरकनेक्ट का अनुरोध प्राप्त होने के बाद 30 दिन के भीतर बिना किसी भेदभाव के आधार पर समझौता करना होगा.
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