नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने लखनउ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सहारा इंडिया को 20 साल पहले कथित रुप से गैरकानूनी तरीके से 270 एकड भूमि के हस्तांतरण की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच के लिये दायर जनहित याचिका पर विचार करने से आज इंकार कर दिया.
प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित याचिका खारिज करते हुये शीर्ष अदालत में इस तरह की याचिकायें दायर किये जाने पर चिंता व्यक्त की. न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘इस तरह की याचिका शीर्ष अदालत में नहीं लायी जायें.’’ न्यायालय ने याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी को इस मामले में उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दे दी. न्यायालय ने कहा, ‘‘हम याचिका खारिज कर रहे हैं लेकिन यह याचिकाकर्ता के उच्च न्यायालय जाने में बाधक नहीं होगा.’’ विश्वनाथ चतुर्वेदी ने याचिका में दलील दी थी कि सहारा समूह को गैरकानूनी तरीके से भूमि का आवंटन किया गया था जो उद्यान और खेल के मैदान विकसित करने के लिये थी.
याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक उपयोग के लिये लखनउ की तहसील और जिले के अनेक गांवों से बडी मात्र में किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था. याचिका में दावा किया गया था कि इसमे से 270 एकड भूमि गैरकानूनी तरीके से सहारा इंडिया को हस्तांतरित कर दी गयी जबकि लखनउ के मास्टर प्लान में यह हरित पट्टी, खेल के मैदान और पार्क आदि के लिये सुरक्षित थी.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.