नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मंगलवार को सेवाप्रदाताओं द्वारा ऐसे करार पर प्रतिबंध का प्रस्ताव किया, जिनमें इंटरनेट पर सामग्री तक पहुंच को लेकर भेदभावपूर्ण तरीके की गुंजाइश बनती है. नेट निरपेक्षता पर ट्राई ने अपनी सिफारिशें जारी करते हुए बहु अंशधारक निकाय बनाने का सुझाव दिया है. इस निकाय में दूरसंचार और इंटरनेट सेवाप्रदाता कंपनियों, सामग्री प्रदाताओं, नागरिक समाज, संगठनों और उपभोक्ता प्रतिनिधियों को शामिल किया जायेगा.
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ट्राई का सुझाव है कि यह निकाय इस मामले में उल्लंघनों की निगरानी और जांच करेगा. ट्राई ने कहा है कि सेवाप्रदाताओं को इस तरह की किसी व्यवस्था या समझौते से रोका जाना चाहिए, जो सामग्री पहुंच के आधार पर भेदभाव की स्थिति पैदा करती हो. इसके अलावा, नियामक ने कंपनियों के लाइसेंसिंग नियमों में भी बदलाव का पक्ष लिया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सामग्री के आधार पर इंटरनेट पहुंच के मामले में भेदभाव नहीं हो सके.
ट्राई ने कहा कि सामग्री के मामले में भेदभावपूर्ण व्यवहार में किसी भी तरीके का भेदभाव, सामग्री पर अंकुश या हस्तक्षेप का प्रयास मसलन ब्लॉक करना, कम करके दिखाना, किसी सामग्री के लिए गति को धीमा करना या किसी को रफ्तार में प्राथमिकता देना शामिल है. ट्राई ने इस विषय पर परामर्श पत्र इस साल जनवरी में जारी किया था.
यह मुख्य रूप से नेटवर्क की रफ्तार पर केंद्रित था, जिससे दूरसंचार आपरेटर किसी वेबसाइट या वॉयस कॉल जैसी सेवाओं को प्राथमिकता न दे पाएं या उन तक पहुंच पर अंकुश न लगा पायें. नेट निरपेक्षता के समर्थक इस सिद्धांत का समर्थन कर रहे हैं कि समूचे इंटरनेट ट्रैफिक तक सभी को समान शर्तों के साथ पहुंच सुनिश्चित हों और इसमें किसी तरह का भेदभाव न किया जाये.
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