नयी दिल्ली : मुद्रास्फीति में गिरावट का सिलसिला टूट गया है. मार्च, 2014 में आलू, प्याज, फलों और अन्य खाद्यों की महंगाई से मुद्रास्फीति बढ़ कर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गयी, जो तीन माह का उच्चतम स्तर है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्लयूपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति मार्च में बढ़ कर 9.9 प्रतिशत पर पहुंच गयी, जो इससे पिछले माह 8.12 प्रतिशत पर थी. थोक मुद्रास्फीति दिसंबर से गिरावट रही थी और फरवरी में घट कर नौ माह के न्यूनतम स्तर 4.68 प्रतिशत पर थी.
मंगलवार को जारी जनवरी,14 के कीमत के आंकड़ों में उस माह की मुद्रास्फीति बढ़ा कर 5.17 प्रतिशत कर दी गयी है. फरवरी में घोषित प्रारंभिक आंकड़ों में जनवरी की मुद्रास्फीति 5.05 प्रतिशत बतायी गयी थी. मार्च-2014 के दौरान आलू की कीमतों में सालना आधार पर 27.83 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. फरवरी में आलू की कीमतें पिछले साल से 8.36 प्रतिशत तेज थीं.
मार्च में प्याज की कीमतें 1.92 प्रतिशत ऊंची रहीं, जबकि फरवरी में इसके भाव गिरे थे. मार्च-2014 के दौरान सब्जियां सालाना आधार पर 8.57 प्रतिशत तक महंगी रहीं, जबकि फरवरी में इनकी महंगाई दर 4 प्रतिशत थी. इसी प्रकार मार्च में फलों की कीमतें 16.15 प्रतिश महंगी रहीं, जबकि फरवरी में इस वर्ग में कीमत सालाना आधार पर 9.92 प्रतिशत थी. वित्त वर्ष 2013-14 में वार्षिक आधार पर कुल मिला कर मुद्रास्फीति 5.70 प्रतिशत बढ़ी, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह औसत 5.65 प्रतिशत था. मार्च माह के दौरान हालांकि चीनी, दाल, अनाज, सीमेंट और खनिज के दामों में पिछले माह की तुलना में गिरावट आयी.
मार्च में ईंधन खंड (एलपीजी, पेट्रोल और डीजल) के दाम सालना आधार पर 11.22 प्रतिशत रहे, जबकि फरवरी में इस वर्ग की मुद्रास्फीति 8.75 प्रतिशत थी. सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े भी जारी करनेवाली है. माह रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक समीक्षा में मुद्रास्फीति के दबाव के मद्देनजर अपनी मुख्य नीतिगत ब्याज दर अपरिवर्तित रखा था.
* खाद्य आपूर्ति की अड़चनें नयी सरकार के लिए चुनौती
मुद्रास्फीति में एक बार फिर तेजी का रुख बनने के बाद देश के उद्योग जगत ने कहा है कि सत्ता में आनेवाली नयी सरकार को खाद्यान्नों के दाम पर अंकुश लगाने के लिए आपूर्ति से जुड़ी अडचनें दूर करनी होंगी. उद्योग जगत ने कहा कि मांग में नरमी और ऋण मंहगा होने से निवेश बाधित हो रहा है और वृद्धि प्रभावित हो रही है. फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति को जब तक काबू में नहीं लाया जाता, इसका असर वृद्धि पर होता रहेगा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक को वृद्धि और मुद्रास्फीति को लेकर और सूक्ष्मतर फैसला करना चाहिए, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र के प्रदर्शन के लिहाज से हम पिछड़ रहे हैं.
औद्योगिक अर्थव्यवस्था की वृद्धि के साथ हमारा पर्याप्त रोजगार सृजन भी दांव पर लगा है. थोकमूल्य सूचकांक में मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति 9.9 प्रतिशत रही, जो पिछले महीने 8.12 प्रतिशत पर थी. सीआइआइ महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि मुद्रास्फीति विशेष तौर पर खाद्य कीमतों की मुद्रास्फीति में तेजी के मद्देनजर आपूर्ति संबंधी पहल करने की जरूरत है, ताकि कृषि उत्पादकता बढ़ायी जा सके. ऐसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी की वजह आपूर्ति पक्ष की दिक्कतें हैं. आरबीआइ की नीति का बुनियादी लक्ष्य यह होना चाहिए कि ब्याज दर कम हो ताकि उत्पाद प्रतिस्पर्धी रहें.
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