वाशिंगटन : माइक्रोसॉफ्ट के बोर्ड को एक मुकदमे में 731 मिलियन डॉलर (भारतीय मुद्रा में करीब 44 अरब 5 करोड़ रुपये) का जुर्माना झेलना पड़ा है. माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट एक्सप्लोरर ब्राउजर की एक गड़बड़ी को जिस तरह से लिया, उस पर यह मुकदमा किया गया था. कंपनी की एक शेयरहोल्डर किम बैरोविक ने यह मुकदमा सिएटल के फेडरल कोर्ट में शुक्रवार को किया था. इसमें कंपनी के संस्थापक बिल गेट्स, पूर्व सीइओ स्टीव बामर समेत निदेशक मंडल और कार्यकारी अधिकारियों पर आरोप लगाया गया था कि वे कंपनी को ढंग से मैनेज करने में असफल रहे हैं. बोर्ड की जांच से गड़बड़ी का पता नहीं चला. माइक्रोसॉफ्ट ने कभी भी पूरी जानकारी नहीं दी. इसे टेक्निकल एरर बताया.
– 2009 में भी लगा था फाइन : पिछले साल मार्च में यूरोपीय यूनियन ने 2009 के एक कानूनी समझौते को तोड़ने पर माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ सबसे बड़ा ऐंटिट्रस्ट फाइन लगाया था. यूरोप में उपभोक्ताओं को अधिकार मिलना था कि वे माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर ब्राउजर के अलावा अन्य तरीके से इंटरनेट इस्तेमाल कर सकें. जांच में पता चला कि अपडेटेड सॉफ्टवेयर मई, 2011 व जुलाई, 2012 के बीच में जारी किया गया, जिसमें 1.5 करोड़ के लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा गया.
* माइक्रोसॉफ्ट ने किया बचाव : मुकदमे में बैरोविक ने बताया कि उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के बोर्ड को इस मामले की पूरी जांच करने के लिए कहा था कि गड़बड़ी कैसे हुई. उन निदेशक और कार्यकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिन्होंने अपना काम सही तरीके से नहीं किया. उनके मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट ने जवाब दिया कि उसे ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि किसी कार्यकारी अधिकारी या निदेशक ने अपना काम सही तरीके से न किया हो.
माइक्रोसॉफ्ट ने ऐसा ही जवाब शुक्र वार के मुकदमे में दिया. यूरोपियन कंप्यूटर्स की दिक्कत अपडेटेड विंडोज 7 सॉफ्टवेयर से जुड़ी थी. इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद उस वक्त के सीइओ बामर और उस वक्त के विंडोज यूनिट हेड स्टीवन सिनोफ्स्की के 2012 के बोनस में कटौती की गयी थी.
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