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देश में बढ़ रही है बेरोजगारी, मोदी सरकार की बढ़ी चिंता

नयी दिल्ली : श्रम मंत्रालय के रोजगार संबंधित आंकड़े सरकार के लिए चिंता का विषय है. मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार देश में रोजगार केंद्र में पंजीकरण कराने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, लेकिन एक फीसदी से कम युवाओं को इसके जरिये रोजगार मिल पा रहा है. रोजगार केंद्रों द्वारा 2015 […]

नयी दिल्ली : श्रम मंत्रालय के रोजगार संबंधित आंकड़े सरकार के लिए चिंता का विषय है. मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार देश में रोजगार केंद्र में पंजीकरण कराने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, लेकिन एक फीसदी से कम युवाओं को इसके जरिये रोजगार मिल पा रहा है.

रोजगार केंद्रों द्वारा 2015 में पंजीकृत लोगों में से सिर्फ 0.57 फीसदी लोगों को ही रोजगार मिल पाया. इस मामले में राज्यों में सबसे अधिक प्रभावशाली प्रदर्शन गुजरात का रहा है. गुजरात में रोजगार केंद्र में पंजीकृत औसतन 30 फीसदी लोगों को रोजगार मिला है. हाल ही में आयी रिपोर्ट में 2015 तक के आंकड़ें को ही लिया गया है. मौजूदा सरकार रोजगार के नये अवसर सृजित करने के मामले में विपक्षी दलों के आरोपों का सामना कर रही है. हालांकि सरकार का दावा है कि रोजगार को लेकर सटीक आंकड़े नहीं हैं और पहली बार नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाइजेशन इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है.

श्रम मंत्रालय के रिपोर्ट के अनुसार रोजगार केंद्र से अधिकांश नौकरियां निजी क्षेत्र में हासिल हुई है. लेकिन नौकरी पाने वालों की सबसे अधिक संख्या तमिलनाडु की रही है. वर्ष 2015 के पहले नौ महीनों में रोजगार केंद्र में 80 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया. इसके बाद पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र का स्थान है. वहीं गुजरात में केवल 6.88 लाख लोगों ने नौकरी के लिए पंजीकरण कराया, लेकिन इसमें से लगभग 82 फीसदी लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराये गये. देश में कुल 997 रोजगार केंद्रों में सबसे अधिक 99 केंद्र उत्तर प्रदेश में, 89 केरल में 77 पश्चिम बंगाल में, 59 हरियाणा में, 52 असम में, 49 मध्य प्रदेश में और 48 गुजरात में है.

देश में रोजगार के कम होते अवसरों पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट भी परेशान करने वाली है. रिपोर्ट के अनुसार जीडीपी विकास दर के अनुपात में रोजगार दर 1991 से 2007 तक 0.3 फीसदी रही है. लेकिन 2007 के बाद इसमें गिरावट आयी है. औसतन एक फीसदी आर्थिक विकास दर से 0.3 फीसदी रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, लेकिन यह संख्या घटकर 0.15 फीसदी हो गयी है. ऐसे में निवेश बढ़ने के बावजूद रोजगार के अवसर नहीं बढ़ पा रहे हैं, जबकि भारत में रोजाना लाखों लोग श्रम बाजार में शामिल हो रहे हैं.

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