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खुदरा महंगार्इ ने मोदी सरकार को दी राहत, तो घटे आैद्योगिक उत्पादन ने बढ़ायी परेशानी

नयी दिल्लीः सब्जियों व दालों की कीमतों में भारी गिरावट के चलते खुदरा मुद्रास्फीति मई में महीने में रिकार्ड 2.18 प्रतिशत के निम्न स्तर पर आ गयी. इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को थोड़ी राहत तो जरूर मिली है, लेकिन आैद्योगिक उत्पादन की गिरावट ने सरकार की परेशानी बढ़ा दिया है. खुदरा महंगार्इ दर […]

नयी दिल्लीः सब्जियों व दालों की कीमतों में भारी गिरावट के चलते खुदरा मुद्रास्फीति मई में महीने में रिकार्ड 2.18 प्रतिशत के निम्न स्तर पर आ गयी. इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को थोड़ी राहत तो जरूर मिली है, लेकिन आैद्योगिक उत्पादन की गिरावट ने सरकार की परेशानी बढ़ा दिया है. खुदरा महंगार्इ दर में आयी गिरावट से हालांकि रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर में कटौती का सरकार का मामला और मजबूत हुआ है. जनवरी 2012 के बाद पहली बार खाद्य कीमतो में अपस्फीति 1.05 फीसदी देखने को मिली. इस साल अच्छे माॅनसून के अनुमान से आने वाले दिनों में भी खाद्य मुद्रास्फीति नीची बनी रहने का अनुमान है.

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मुद्रास्फीति के अलावा औद्योगिक उत्पादन भी अप्रैल महीने में घटकर 3.1 फीसदी रह गया, जो पिछले साल समान महीने में 6.5 फीसद रही थी. औद्योगिक उत्पादन पर संभवत: सरकार की नोटबंदी के कदम का असर दिखा. आलोच्य महीने में औद्योगिक उत्पादन के लिहाज से सबसे खराब प्रदर्शन विनिर्माण, पूंजीगत सामान व टिकाउ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का रहा. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सीपीआर्इ आधारित मुद्रास्फीति से वित्त मंत्रालय का यह रुख मजबूत हुआ है कि कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्वानुमान में बड़ी त्रुटि थी और कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती का मजबूत मामला बनता है, ताकि निजी निवेश बढ़े और आर्थिक वृद्धि को मजबूती मिले.

खुदरा मुद्रास्फीति सरकार द्वारा 2012 में सीपीआई डेटा का प्रकाशन शुरु किए जाने के बाद सबसे निचले स्तर पर है. अप्रैल 2017 में यह 2.99 प्रतिशत और मई 2016 में यह 5.76 प्रतिशत थी. आलोच्य महीने में कपड़ा, आवास, ईंधन और बिजली की दरें सस्ती हुईं. वहीं, सब्जी के दाम 13.44 फीसदी घटे तो दालों व उत्पादों के दाम में 19.45 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी.

उल्लेखनीय है कि बीते सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक ने यह कहते हुए नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव से इनकार कर दिया था कि वह मुद्रास्फीति को लेकर और अधिक आश्वस्त होना चाहता है. लगातार ब्याज दर में कटौती का माहौल बना रहे वित्त मंत्रालय ने इस पर नाराजगी जतायी थी.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि हालांकि मुद्रास्फीति की दर नीची बनी रहेगी, लेकिन केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर में किसी बडी कटौती की संभावना बहुत ही कम है. वहीं विनिर्माण, खनन व बिजली क्षेत्रों के अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन तथा पूंजीगत व टिकाऊ उपभोक्ता सामान का उठाव घटने के बीच अप्रैल महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 3.1 फीसदी रह गयी.

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल अप्रैल महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक आर्इआर्इपी 6.5 फीसदी रहा था. संगठन ने मार्च महीने की औद्योगिक वृद्धि दर को संशोधित आंकड़े में बढ़ाकर 3.75 फीसदी किया है. पिछले महीने जारी मार्च के प्रारंभिक आंकड़ों में इसे 2.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था.

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