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विपुल मुदगल

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लोकतांत्रिक बहस के पक्षधर थे अग्निवेश

स्वामीजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बहस अवश्य होनी चाहिए. उन्होंने हमेशा आलोचकों को शास्त्रार्थ के किए ललकारा, मगर उन पर पीछे से ही वार हुए. स्वामी जी के संवैधानिक अधिकारों की हिफाजत नहीं हुई. पुलिस अमूमन तमाशा देखती नजर आती रही.

लोकतंत्र के लिए कानून का शासन जरूरी

आर्टिकल-22 में यह अनिवार्य है कि व्यक्ति को गिरफ्तारी से पहले उसकी वजह बतायी जाये और कानूनी सलाह लेने या पैरवी की अनुमति दी जाए.

पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित हो

पुलिस सुधारों का मतलब यह नहीं है कि पुलिस को ज्यादा हथियार देकर उसका मिलिट्रीकरण किया जाए, बल्कि ये है कि उसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाया जाए.