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देविंदर शर्मा

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चिंताजनक है भोजन की बरबादी

जिस तरह हम हरित क्रांति लाये, उसी तरह भोजन की बरबादी रोकने के लिए क्रांति लाने की जरूरत है. यदि यह क्रांति होती है तो धरती, पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन, जैव-विविधता, वन भूमि, सभी को पहुंचने वाला नुकसान कम हो सकता है.

खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के नायक

भारत का खाद्यान्न क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना बीसवीं सदी की दुनिया की सबसे बड़ी उपलब्धि थी. और इसके नायक एमएस स्वामीनाथन थे. इसे पहले गेहूं और फिर हरित क्रांति कहा गया.

टिड्डियों का हमला चिंताजनक

ऐसे समय में जब किसान लॉकडाउन के नुकसानदेह असर से निकलने की कोशिश कररहा है, उत्तर-पश्चिम भारत के कई इलाकों में टिड्डियों का हमला उनके लिए दोहरी त्रासदी है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान किसान अपनी ऊपज और उत्पादन (खासकर वे चीजें, जो जल्दी खराब हो जाती हैं,जैसे- सब्जियां, फल, दुग्ध उत्पाद, मछली आदि) को बाजार तक नहीं ला पायाऔर अभी भी उसे समुचित दाम नहीं मिल रहे हैं क्योंकि यातायात बाधित है तथा शहरों में मांग का स्तर गिरा हुआ है. अब उसे टिड्डियों के हमले का नुकसान भी झेलना है. अभी तो इस मुश्किल की शुरुआत ही है.

एमएसपी की तय हो अनिवार्यता

किसानों की मांग है कि एक ऐसा कानून बन जाए, जहां एमएसपी से नीचे खरीद ही न हो़ 23 फसलों पर जब एमएसपी की घोषणा होती है, तो क्यों न 23 फसलों की खरीद भी एमएसपी पर ही हो़