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दीपोत्सव के आगमन को लेकर तैयारियां जोरों पर

भभुआ सदर : दुर्गापूजा के बाद 27 अक्तूबर को मनाये जानेवाले दीपावली पर्व के लिए शहर पूरी तरह से उल्लास और उत्साह के रंग में रंगने को तैयार है. ऐसे में भला घरों की साफ सफाई और रंगरोगन को लेकर तैयारियां क्यों न हो. दीपावली को लेकर लोगों की इच्छानुसार घरों की रंगाई पुताई के […]

भभुआ सदर : दुर्गापूजा के बाद 27 अक्तूबर को मनाये जानेवाले दीपावली पर्व के लिए शहर पूरी तरह से उल्लास और उत्साह के रंग में रंगने को तैयार है. ऐसे में भला घरों की साफ सफाई और रंगरोगन को लेकर तैयारियां क्यों न हो. दीपावली को लेकर लोगों की इच्छानुसार घरों की रंगाई पुताई के लिए बाजार में तरह तरह के कलर और पेंट मुहैया हो गये हैं. यह अलग बात है कि अब चूना एवं सूखे डिस्टेंपर का जमाना चला गया और लिक्वड़ डिस्टेंपर से लेकर वाटरप्रूफ, प्लास्टिक, गोल्डन सहित हरे व सुगापंखी की बाजार में बहार आ गयी है.

शहर के पश्चिम बाजार में पेंट व्यवसायी सुरेश गुप्ता ने बताया कि संडीला में गुलाबी और क्रील कलर के रंगों की डिमांड बढ़ी है. अपना शहर ग्रीन सिटी होने की वजह से हरा व सुगापंखी कलर का डिमांड तो है ही. पिछले 20 वर्षों में पेंट का बाजार का कारोबार 10 लाख से 30 लाख पर पहुंच गया है. अब बाजार में टिकाऊ और आकर्षक पेंट पसंद किया जा रहा है. जिससे सेमोसेम, चूना, सूखा डिस्टेंपर आदि न के बराबर हो गये और पेंट का कारोबार बढ़ निकला है.
आधुनिकता छोटे शहरों में भी जमाने लगी है रंग : दरअसल पहले के जमाने में चूना और सूखा डिस्टेंपर ही रंगरोगन के मुख्य साधन हुआ करते थे.
इसके साथ ही गेरुआ भी रंग रोगन के लिए प्रयोग किया जाता था. पर अब यह सब कुछ गुजरे जमाने की बात हो चली है. इंटरनेट से चुन रहे सपनों के महल के लिये रंग : भभुआ सदर. आधुनिक युग में इन दिनों रंगों के चयन के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है. संयोग ही है कि एक कंपनी के मुफ्त के इंटरनेट का इन दिनों युवाओं के साथ महिलाएं भी जमकर इस्तेमाल कर रही है.
किसी दौर में रंगाई-पुताई के लिए गिने-चुने ही कलर हुआ करते थे. लेकिन अब रंगों की भरमार है. बाजार में इन दिनों विभिन्न कंपनियों के कलर भारी संख्या में मौजूद है. सामने इतने सारे कलर देखकर तो ग्राहक भी कन्फ्यूज हो जाये. इसलिए कंपनी की साइट्स पर ये सारे कलर उपलब्ध है. ज्यादातर ग्राहक भी इन दिनों इंटरनेट से ही अपना कलर पसंद कर दुकान पर पहुंच रहे है.
बाजार में चूना व गेरू की बिक्री घटी :
हाइटेक जमाने में लोग घरों की रंगाई-पुताई के लिए डिस्टेंपर और पेंट की मांग अधिक कर रहे हैं. गांवों में भी अब पक्के मकान बन रहे हैं. ऐसे में चूना और गेरू के दिन लदते नजर आ रहे हैं. आज बाजार में कुछ चुनिंदा दुकानों पर ही चूना व गेरू दस रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है.

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