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अमेरिकी न्यायाधीश ने 1984 के सिख दंगों पर आदेश सुरक्षित रखा

न्यूयार्क: सिख विरोधी दंगा मामले में सिख मानवाधिकार संगठन की ओर से कांग्रेस पार्टी के खिलाफ दायर याचिका पर उसकी दलीलों को सुनने के बाद एक अमेरिकी न्यायाधीश ने आदेश सुरक्षित रखा। कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि 1984 की घटना भारत का आंतरिक मामला है. मैनहटन […]

न्यूयार्क: सिख विरोधी दंगा मामले में सिख मानवाधिकार संगठन की ओर से कांग्रेस पार्टी के खिलाफ दायर याचिका पर उसकी दलीलों को सुनने के बाद एक अमेरिकी न्यायाधीश ने आदेश सुरक्षित रखा। कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि 1984 की घटना भारत का आंतरिक मामला है.

मैनहटन फेडरल कोर्ट में कल सुनवाई के दौरान भारतीय अमेरिकी वकील रवि बत्र ने अमेरिकी संघीय न्यायाधीश राबर्ट स्वीट के समक्ष उपस्थित होते हुए दलील दी कि सिखों की ओर से न्याय के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि 1984 की घटना भारत का आंतरिक मामला है और किसी देश को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

कांग्रेस पार्टी ने मानवाधिकार उल्लंघन से जुडी याचिका के विषयवस्तु के अधिकार क्षेत्र के दायरे में नहीं होने, दावा करने में विफल रहने और एसजेएफ के मामला दायर करने की कानूनी अवधि आदि के आधार पर याचिका को खारिज करने की मांग की है.एसजेएफ ने दलील दी कि भारतीय राष्ट्रीय प्रवासी कांग्रेस (यूएसए) का अस्तित्व एवं धन जुटाने की गतिविधियां अमेरिकी अदालत को राजनीतिक पार्टी के बारे में अधिकार देती हैं.

बत्र ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि एक विदेशी राजनीतिक पार्टी को अमेरिका में राजनीतिक तौर पर सक्रिय बताना आपराधिक तौर पर अवैध होगा. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि न्यायाधीश स्वीट शिकायत को खारिज करने का आदेश देंगे.

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