इस्लामाबादः धार्मिक मामलों पर सरकार को कानूनी राय देने वाली पाकिस्तान की एक संवैधानिक संस्था ने कहा है कि किसी पुरुष को दूसरे निकाह के लिए अपनी मौजूदा पत्नी की मंजूरी लेने की जरुरत नहीं है. सोशल मीडिया पर इस सिफारिश की कड़ी आलोचना हो रही है.
इस्लामी विचारधारा परिषद (सीआईआई) ने यह भी कहा कि कम उम्र में शादी पर पाबंदी लगाने वाला कानून गैर-इस्लामी है क्योंकि इस्लाम में छोटे बच्चों की शादी पर मनाही नहीं है. बहरहाल, ‘डॉन’ की एक खबर में कहा गया है कि रुखसती :शादी का अंत: की इजाजत सिर्फ ऐसे मामलों में है जिसमें पति और पत्नी दोनों ही यौवनावस्था में प्रवेश कर चुके हैं.
सीआईआई ने सरकार को महज अपनी सिफारिशें दी हैं और कानूनों में बदलाव सिर्फ संसद कर सकती है.सीआईआई ने यह सिफारिश तब दी है जब एक दिन पहले ही इस संवैधानिक संस्था के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद खान शीरानी ने कहा था कि पहली पत्नी की मौजूदगी में किसी पुरुष की दूसरी शादी की बाबत पाकिस्तान का कानून धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ है.
इस मुद्दे पर एक बैठक के बाद कल शीरानी ने संवाददाताओं से कहा था, ‘‘शरिया किसी व्यक्ति को एक से अधिक पत्नी रखने की इजाजत देता है और हम मांग करते हैं कि सरकार को कानून में संशोधन करना चाहिए.’’ शीरानी ने कहा कि दूसरी शादी करने के लिए अपनी पत्नी से मंजूरी लेना जरुरी नहीं है. परिषद की इस्लामाबाद में बैठक हुई और इसमें पाकिस्तान के मौजूदा पारिवारिक कानूनों का विश्लेषण किया गया. शीरानी ने कहा कि इस्लामी शरिया कानून यह नहीं कहता कि किसी पुरुष को दूसरी शादी करने से पहले अपनी पत्नी से इजाजत लेनी होगी जबकि मुस्लिम परिवार कानून, 1961 के मुताबिक मौजूदा पत्नी से इजाजत लेना जरुरी है. उन्होंने कहा कि यह इस्लामी शरिया कानून के उलट है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह निकाह, तलाक, वयस्क अवस्था और वसीयत से जुड़े शरिया-शिकायत कानूनों को अमल में लाए.’’ सीआईआई के इस कदम की सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना हुई है और पुरुषों ने भी सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ राय जाहिर की है.
पाकिस्तान की मशहूर डॉक्यूमेंटरी फिल्म निर्माता शरमीन ओबैद चिनॉय ने ट्विटर कर कटाक्ष किया, ‘‘सीआईआई फिर से हमें खुद पर गर्व करवा रही है. दूसरी शादी के लिए पत्नी की मंजूरी की जरुरत नहीं.’’ तेजाबी हमलों का शिकार हुई महिलाओं पर बनायी गयी डॉक्यूमेंटरी के लिए चिनॉय को 2012 में ऑस्कर से नवाजा गया था.
पाकिस्तान के प्रमुख विश्लेषकों में से एक जाहिद हुसैन ने कहा, ‘‘लगता है कि तालिबान पहले ही कब्जा जमा चुके हैं. दूसरी शादी के लिए पत्नी की मंजूरी जरुरी नहीं.’’ सामाजिक कार्यकर्ता निलोफर अफरीदी काजी ने ट्वीट किया, ‘‘सीआईआई महिलाओं को कमजोर बना रही है. पाकिस्तान बेहतर और बेहतर होता जा रहा है. खुद पर बम ही क्यों न गिरा लें? जान छूटे.’’ कुछ ऐसी ही प्रतिक्रियाएं फेसबुक पर भी आ रही हैं.