काहिरा: मिस्र के अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी ने साल 2011 में कारागारों में तोड़फोड़ के मामले की सुनवाई में सहयोग नहीं करते हुए कहा कि वह अब भी देश के वैधानिक मुखिया हैं और उन्हें राजनीतिक बंदी की हैसियत से रखा गया है.
मुरसी के खिलाफ सुनवाई 22 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई. पिछले साल 3 जुलाई को अपदस्थ किए जाने के बाद दूसरी बार मुरसी अदालत में पेश हुए हैं. उन्हें भारी विरोध प्रदर्शनों के बाद सेना ने अपदस्थ कर दिया था.
मुरसी के खिलाफ आज की सुनवाई साल 2011 के दौरान मिस्र के तीन कारागारों से 20,000 कैदियों के भागने से जुड़ा है. हुस्नी मुबारक के खिलाफ क्रांति के दौरान ये कैदी विभिन्न कारागारों से भागे थे.उनके खिलाफ साल 2012 में राष्ट्रपति रहते हुए प्रदर्शनकारियों की हत्या के लिए उकसाने, जासूसी तथा विदेशी आतंकी संगठनों के साथ मिलकर साजिश रखने के मामले भी चल रहे हैं.
इस मामले में अगर उन्हें दोषी पाया गया तो उन्हें मौत की सजा हो सकती है. सुनवाई आरंभ होते ही मुरसी जोर-जोर से बोलने लगे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस गणराज्य का राष्ट्रपति हूं, मुङो यहां हफ्तों से इस तरह से कैसा रखा जा सकता है?’’ मुरसी ने न्यायाधीश पर चीखते हुए कहा, ‘‘आप कौन हैं?’’ इस पर न्यायाधीश ने कहा,‘‘मैं इस अदालत का मुखिया हूं.’’