न्यूयॉर्क : अमेरिका ने भारत के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका ने वरिष्ठ भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की नौकरानी के वीजा आवेदन में दी गई वेतन की जानकारी को गलत समझ लिया था. दावे को खारिज करते हुए अमेरिका ने जोर देकर कहा कि इस मामले में कोई भी गड़बड़ नहीं हुई है और देवयानी के खिलाफ मामले का मजबूत आधार है.
खोबरागड़े के खिलाफ लगे वीजा धोखाधड़ी के आरोपों को नहीं हटाने की बात स्पष्ट तौर पर कहते हुए अमेरिकी सूत्रों ने कहा, इस मामले में की गई धोखाधड़ी का स्तर काफी बड़ा है. सूत्रों ने कहा, उनके खिलाफ मामला कायम रहेगा और इसे वापस नहीं लिया जायेगा. उनपर आरोप बने रहेंगे. सूत्रों ने यह भी कहा कि 39 वर्षीय राजनयिक को पूर्ण राजनयिक छूट प्राप्त है और वह देश के बाहर यात्रा कर सकती हैं.
हालांकि अगर वह बाद में कभी अमेरिका की यात्रा पर आती हैं और तब उनके पास यह छूट नहीं होती है तो उनके खिलाफ लगे आरोपों के आधार पर उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और तब उनपर मुकदमा चलाया जा सकता है.
खोबरागड़े के वकील ने कहा था कि वीजा आवेदन पर 4500 डॉलर का जो वेतन लिखा गया था, वह खोबरागड़े का अपना वेतन था, न कि नौकरानी संगीता रिचर्ड को दिया जाने वाला वेतन. खोबरागड़े के वकील की ओर से लगाए गए इन आरोपों पर सूत्रों ने कहा कि खोबरागड़े आवेदन पत्र को सही ढंग से समझ नहीं पाईं.
खोबरागड़े के वकील डैन एरशैक के इन आरोपों को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा, आवेदन पत्र को पढ़ने में किसी संघीय एजेंट को गलती नहीं हुई. उन्होंने कहा, यह स्पष्ट है कि वीजा आवेदन पर मांगी गई वेतन की जानकारी कर्मचारी की है न कि नियोक्ता की.
उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क में तत्कालीन उप महावाणिज्यदूत खोबरागड़े की 12 दिसंबर को हुई गिरफ्तारी पर भारत से माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता. इस गिरफ्तारी के बाद भारत सरकार की ओर से भारी विरोध दर्ज कराया गया था. खोबरागड़े को अदालत में दोषी न पाए जाने पर 2.5 लाख डॉलर का बॉण्ड भरवाकर छोड़ दिया गया था. भारत सरकार ने खोबरागड़े के खिलाफ मामला वापस लेने और राजनयिक के साथ बुरा व्यवहार करने के लिए अमेरिका की ओर से माफी मांगने की मांग की है.