जोहानिसबर्ग : अधिकतर भारतीय-दक्षिण अफ्रीकी छात्र जहां अफ्रीकी भाषा को सीखने से संकोच करते हैं वहीं 13 वर्षीय भारतीय छात्र अंगद सेना की इस भाषा पर मजबूत पकड़ ने उन्हें यहां आने के मात्र दो वर्षों में राष्ट्रीय सम्मान दिला दिए हैं.
सेना 2011 में जब अपने पिता तजिंदर और अध्यापिका मां अमरजीत के साथ प्रीटोरिया आया था तो उसने थेरेसा पार्क प्राइमरी स्कूल में दूसरी अनिवार्य भाषा के लिए जुलु के बजाए अफ्रीकी भाषा का चयन किया था.
सेना ने कहा, ‘‘ मैंने इस भाषा की मूल बातें जानने के बाद काफी पुस्तकें पढी जिन्होंने मेरी काफी मदद की.’’उसने 2012 में ‘रैडिकाले रेंडेनार्स’ शीर्षक पर आयोजित राष्ट्रीय स्तर की भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया था. इस वर्ष भी उसने इस प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान हासिल किया.