वियना : इस सप्ताह ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में होने वाली वार्ताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक दो अड़ियल पक्षों तेहरान के कट्टरपंथियों और वाशिंगटन को राजी करना है. ये दोनों ही वार्ता की मेज पर नहीं होंगे.
लगभग एक दशक के गतिरोध के बाद ईरान छह देशों को यह आश्वासन देने के लिए तैयार दिखता है कि वह परमाणु हथियार विकसित नहीं कर रहा. ये छह देश हैं- अमेरिका, रुस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी. ईरान के नए सुधारवादी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने संकेत दिए हैं कि कड़े आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दिए जाने पर वे बदले में परमाणु कार्यक्रम में कटौती कर सकते हैं.
लेकिन ईरान और अमेरिका दोनों के ही कुछ धड़े मांग कर रहे हैंकि सबसे पहले और तेजी से उनके हितों की पूर्ति की जाए. ईरान के कट्टरपंथी चाहते हैं कि संवर्धन में कटौती के बदले में प्रतिबंधों में पर्याप्त ढील दी जाए जबकि कुछ अमेरिकी सांसद चाहते हैं कि प्रतिबंधों में ढील के बदले संवर्धन को समूचा ही बंद कर दिया जाए. आज और कल होने वाली वार्ताओं में वार्ताकारों पर एक साझेहल पर पहुंचने की कोशिश के दौरान दोनों ही पक्षों की ओर से भारी दबाव होगा.