संयुक्त राष्ट्र : इस्राइल और फलस्तीन के बीच बढते तनाव के मद्देनजर कोई कदम न उठाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आलोचना करते हुए भारत ने कहा है कि इस संकट से निपटने में परिषद के प्रभाव पर सवाल उठ रहे हैं. यहां आये संसद सदस्य कमलेश पासवान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कल पश्चिम एशिया में हालात पर हुई एक खुली बहस में कहा ‘पश्चिम एशिया में स्थिति लगातार अस्थिर और अप्रत्याशित बनी हुई है और क्षेत्र के विभिन्न देशों में अचानक परिवर्तन हो रहे हैं. हमने देखा है कि परिषद तनाव और आपेक्षिक शांति के क्रमिक दौर में एक तरह से मूक दर्शक बनी रही.’ उन्होंने कहा कि परिषद के प्रभाव को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ‘हम अन्य पक्षों के साथ मिल कर परिषद से आग्रह करते हैं कि वह अपने प्रयास तेज करे और इस समस्या के हल की पहल करे.’
पासवान ने बातचीत के जरिये एक संप्रभु, स्वतंत्र, गतिमान और एकीकृत फलस्तीनी राज्य के तौर पर समाधान के प्रति अपना समर्थन दोहराया जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम हो, जिसकी सीमाएं सुरक्षित एवं मान्यताप्राप्त हों और जो इस्राइल के साथ शांतिपूर्वक रह सके. उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की हालिया फलस्तीन यात्रा से फलस्तीनियों की मांग के प्रति भारत की दृढ प्रतिबद्धता तथा फलस्तीन के लिए उसका राजनीतिक एवं कूटनीतिक समर्थन फिर से जाहिर हुआ है. पासवान ने कहा कि क्षेत्र में लोगों की जान जाने से भारत निराश एवं दुखी है और समस्या के हल के प्रयासों का स्वागत करता है.
उन्होंने दोनों पक्षों से तनाव कम करने के लिए संयम बरतने और शांति वार्ता बहाल करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा ‘हमें खास तौर पर चिंता है कि पिछले साल से पक्षों के बीच गंभीर प्रयासों के बावजूद शांति प्रक्रिया आगे नहीं बढ पाई और बेनतीजा ही रही. दुर्भाग्यवश, पक्षों की एकतरफा कार्रवाई से वह दूर ही हुए हैं.’ पासवान ने जोर दिया कि भारत दृढतापूर्वक यह मानता है कि बातचीत ही एकमात्र ऐसा विकल्प है जो पश्चिम एशिया के मुद्दे को कारगर तरीके से हल कर सकता है.
उन्होंने कहा ‘सर्वाधिक जरुरत संयम बरतने, उकसावे और एकतरफा कार्रवाइयों से बचने तथा शांति प्रक्रिया की ओर लौटने की है. हमें उम्मीद है और हम दोनों पक्षों से शांति प्रक्रिया शीघ्र बहाल करने का आग्रह करते हैं ताकि फलस्तीन के मुद्दे का व्यापक, शीघ्र और अंतिम समाधान निकल सके.’ पासवान ने पश्चिम एशिया और खाडी क्षेत्र में, खास कर इराक के उत्तरी हिस्से और सीरिया में अतिवादी समूहों, कट्टरपंथी और चरमपंथी गुटों की गतिविधियों को लेकर भी चिंता जाहिर की जिसका कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर असर पड रहा है.
उन्होंने कहा ‘क्षेत्र में सभी पक्षों को इन खतरों को रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए.’ उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि क्षेत्र में चरमपंथ और कट्टरपंथ से निपटने के लिए ठोस राजनीतिक प्रक्रिया और समाधान कारगर तरीका होगा. पासवान ने कहा कि यमन में भारत बिगडती राजनीतिक एवं सुरक्षा स्थिति को लेकर लगातार चिंतित बना हुआ है. ‘हम यमन में संबद्ध पक्षों से अपने मतभेदों को सौहार्द्रपूर्ण तरीके से दूर करने का आग्रह करते हैं और हमें उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता के प्रयास आम सहमति से समाधान निकालने में यमन के लोगों की मदद करेंगे.’
सीरिया में जारी हिंसा और मानव क्षति को लेकर उन्होंने भारत की चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस संकट का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा ‘भारत ने सभी पक्षों से बातचीत के जरिये संकट का व्यापक एवं शांतिपूर्ण समाधान निकालने का आह्वान लगातार किया है. प्रक्रिया सीरियावासियों की अगुवाई में हो और सीरिया के लोगों की जायज आकांक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए. वहां की समस्या का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता.’ पासवान ने सभी पक्षों से अपेक्षित राजनीतिक इच्छा शक्ति जाहिर करने, संयम बरतने और अपने मतभेदों का साझा हल निकालने के लिए प्रतिबद्ध होने का आह्वान किया.