इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने आज कहा कि सेना प्रतिबंधित संगठनों के साथ शांति वार्ता करने के सरकार के कदम का पूरा समर्थन करती है, लेकिन यह बातचीत संवैधानिक दायरे में होनी चाहिए.
कयानी ने कहा कि इस तरह की बात की जा रही है कि सैन्य अभियानों की नाकामी की वजह से सरकार आतंकवादियों के साथ बातचीत करने को मजबूर हुई है, लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है.
उन्होंने ऐबटाबाद स्थित पाकिस्तान सैन्य अकादमी में पासिंग-आउट परेड को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि देश में लोकतंत्र को मजबूत करने की जरुरत है.
कयानी ने कहा, ‘‘देश के राजनीतिक नेतृत्व और लोगों ने आतंकवादियों के साथ शांतिवार्ता के लिए सीमा निर्धारित की है. यह महत्वपूर्ण है कि इसको लेकर लोगों में एकजुटता है. पाकिस्तान के संविधान के दायरे में रहकर इस समस्या का समाधान करना जरुरी है.’’ उन्होंने कहा कि बलप्रयोग आखिरी विकल्प है और जरुरत पड़ने पर सेना इस विकल्प के लिए भी पूरी तरह तैयार है.
कयानी ने कहा कि पाकिस्तान कठिन दौर से गुजर रहा है और सैन्य नेतृत्व को लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए.