इस्लामाबाद: लंबे समय तक सैन्य शासन के साये में रहे और पिछले कई वर्षों से आतंकवाद एवं हिंसा का सामना कर रहे पाकिस्तान के करोड़ों लोग शनिवार को अपनी अगली लोकतांत्रिक सरकार चुनने के लिए मतदान करेंगे.
नेशनल एसेंबली के साथ ही पाकिस्तान के चार प्रांतों की एसेंबलियों के लिए भी मतदान होगा. इस बार के चुनाव प्रचार के दौरान तालिबान के हमलों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. इसी साल मार्च में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेतृत्व वाली सरकार के पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद 11 मई को चुनाव कराने का ऐलान हुआ था.
पाकिस्तान की तारीख में यह पहला मौका होगा जब चुनाव के जरिए सत्ता का हस्तांतरण एक लोकतांत्रिक सरकार से दूसरी लोकतांत्रिक सरकार के हाथों में होगा. 11 मई को मतदान खत्म होने के बाद ही मतगणना शुरु हो जाएगी और सभी नतीजे आने में एक सप्ताह से अधिक का समय लग जायेगा.
पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नेशनल एसेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं, लेकिन यहां के संविधान के मुताबिक 272 सीटों पर ही प्रत्यक्ष चुनाव होता है और 60 सीटें महिलाओं तथा 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित होती हैं. विभिन्न दलों को प्रत्यक्ष चुनाव से मिली सीटों के अनुपात में ही विभिन्न दलों को ये आरक्षित 70 सीटें आवंटित कर दी जाती हैं.
सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन को कम से कम 172 सीटें हासिल करना जरुरी है. इस बार के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सबसे बड़े दल के रुप में उभरने की संभावना है. ऐसी स्थिति में अगर शरीफ धार्मिक, राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी दलों को साथ लाने में कामयाब होते हैं, तो वह तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे.