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अत्यधिक न्यायिक हस्तक्षेप निवेशकों के हित में नहीं: जेटली

न्यूयार्क: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि न्यायपालिका की ओर से ‘अत्यधिक’ हस्तक्षेप निवेशकों के अनुकूल नहीं होता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार न्यायिक प्रक्रियाओं को और सहज के लिये कानून में बदलाव पर विचार कर रही है. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारत सरकार तथा लॉ कमीशन ने कुछ […]

न्यूयार्क: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि न्यायपालिका की ओर से ‘अत्यधिक’ हस्तक्षेप निवेशकों के अनुकूल नहीं होता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार न्यायिक प्रक्रियाओं को और सहज के लिये कानून में बदलाव पर विचार कर रही है.

उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारत सरकार तथा लॉ कमीशन ने कुछ ‘हस्तक्षेपकारी निर्णयों’ की जांच-पडताल की है और देश के विवाद निपटान कानून में बदलावों के बारे में सुझाव दिये गये हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि वे बदलाव अब मंत्रिमंडल के समक्ष हैं. भारत की कानून प्रणाली को ‘कुछ धीमी’ बताते हुए जेटली ने कहा, ‘‘ अत्यधिक हस्तक्षेप या अत्यधिक न्यायिक हस्तक्षेप की प्रवृत्ति ऐसा कदम है नहीं है जो जरुरी तौर पर निवेशकों के हितों में हो। ’’ बुनियादी ढांचा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत ने विश्व भर में प्रचलित व्यवस्थाओं के अनुरुप अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक पंच निर्णय आदि के लिये कानून पारित किए.तो अदालतों ने इसकी इस रुप में व्याख्या की कि ‘‘ हमारा अधिकार क्षेत्र अभी खत्म नहीं हुआ, है, हम अब भी हस्तक्षेप कर सकते हैं.’’ जेटली ने कहा कि यह रुख भारत के लिये नुकसानदेह साबित हुआ क्योंकि अनुबंध करने वाले पक्ष अत्यधिक न्यायिक हस्तक्षेप पसंद नहीं करते.
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता महंगा सौदा है.
जेटली नौ दिन की यात्र पर अमेरिका आये हुए हैं.

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