बगदाद: इराकी सरकार और संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई महीने में देश में हुई हिंसा की विभिन्न घटनाओं में एक हजार लोगों की जान गई है. खूनी सामुदायिक हिंसा के दौर से उभरने के बाद गुजरा महीना वर्ष 2008 से अभी तक का इराक का सबसे घातक महीना है.पिछले महीने भीड़ भरे […]
बगदाद: इराकी सरकार और संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई महीने में देश में हुई हिंसा की विभिन्न घटनाओं में एक हजार लोगों की जान गई है. खूनी सामुदायिक हिंसा के दौर से उभरने के बाद गुजरा महीना वर्ष 2008 से अभी तक का इराक का सबसे घातक महीना है.पिछले महीने भीड़ भरे कैफे में विस्फोट किए गए, मस्जिदों में नमाजियों को निशाना बनाया गया और आतंकवादियों ने दो जेलों पर भी हमले किए.
संयुक्त राष्ट्र के दूत ज्योर्जी बस्जतिन ने एक बयान में कहा कि हिंसा का आम लोगों पर प्रभाव बहुत ज्यादा गंभीर पड़ा है.उन्होंने कहा, ‘‘हमने पांच वर्ष से भी ज्यादा समय में इतनी मौतें नहीं देखी हैं, वह भी ऐसे वक्त में जब देश सामुदायिक हिंसा से अपने सीने पर लगे घावों से उबरने लगा था.’’ इराक में लंबे समय तक शिया-सुन्नी सामुदायिक झगड़ा चला है जो वर्ष 2006-07 के दौरान अपने चरम पर था. इस दौरान हजारों लोगों की उनकी धार्मिक मान्यताओं के कारण हत्या कर दी गई थी या फिर वे अपने घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए थे.
बस्जतिन ने कहा, ‘‘बिना सोचे-समझेकी जा रही हिंसा और उन काले दिनों की वापसी को रोकने के लिए इराक के राजनीतिक नेताओं द्वारा त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने की अपनी मांग को मैं फिर दोहराता हूं.’’ इराक सरकार के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में कुल 989 लोग मारे गए हैं. इनमें से 778 आम नागरिक हैं. स्वास्थ्य, गृह और रक्षा मंत्रलयों द्वारा एकत्र किए गए आंकड़े के अनुसार, हमलों में 1,350 से ज्यादा आम लोग घायल हुए हैं.
अप्रैल 2008 के बाद जुलाई 2013 इराक में सबसे घातक महीना है. अप्रैल 2008 में 1,428 लोग मारे गए थे. दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2013 में इराक में 1,057 लोग मारे गए हैं और 2,109 लोग घायल हुए हैं.संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक वर्ष 2013 की पहली छमाही में अफगानिस्तान के मुकाबले इराक में मरने वाले आम लोगों की संख्या दोगुनी है.
बीते महीने में सबसे भयावह हमला किर्कुक के एक कैफे में हुआ. इस भीड़ भरे कैफे में आत्मघाती हमलावर ने खुद को बम से उड़ा लिया जिसमें 41 लोग मारे गए. उग्रवादी अक्सर भीड़ भरे कैफे को अपना निशाना बनाते हैं. रमजान के महीने में इफ्तार के बाद इराकी विभिन्न कैफे में बड़ी संख्या में जमा होते हैं.इसके अलावा मस्जिदों को भी निशाना बनाया जा रहा है. इन दिनों मस्जिद में नमाज आम दिनों की अपेक्षा ज्यादा देर तक चलती है.