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संराष्ट्र ने किया यहूदी विरोधी भावना को खत्म करने आह्वान

संयुक्त राष्ट्र : विश्वभर में बढ रही यहूदी विरोधी भावना के बीच इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली बैठक में हिंसा और भेदभाव, विशेष रूप से यहूदियों के प्रति बढती नफरत की भावना के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया गया. यहूदी विरोधी भावना के पूर्वाग्रह को सबसे प्राचीन पूर्वाग्रहों में से एक […]

संयुक्त राष्ट्र : विश्वभर में बढ रही यहूदी विरोधी भावना के बीच इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली बैठक में हिंसा और भेदभाव, विशेष रूप से यहूदियों के प्रति बढती नफरत की भावना के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया गया. यहूदी विरोधी भावना के पूर्वाग्रह को सबसे प्राचीन पूर्वाग्रहों में से एक बताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि वह इसके खिलाफ आवाज उठाए क्योंकि बढता चरमपंथ और बर्बर गतिविधियां आज विश्व में आपसी समझ कायम करने के प्रयासों का इम्तिहान ले रही हैं.’

उन्होंने कहा, ‘बहुत सी जगहों पर नफरत का जहर फैल रहा है. यहूदी निशाना बने हुए हैं, जैसे कि मुस्लिम और कई अन्य.’ महासचिव ने कहा, ‘हमारी कार्रवाई हर हालत में शैतानीकरण के इस चक्र से बचने और विभाजित करने वालों के हाथों में नहीं खेलने की होनी चाहिए.’ उन्होंने पेरिस में कोशर (यहूदी) सुपरमार्केट में हमले में चार यहूदियों के मारे जाने की घटना के दो सप्ताह बाद कहा कि इस्राइली कार्रवाइयों की शिकायतों को कभी भी यहूदियों पर हमलों के बहाने के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, इसी तरह इस्राइली कार्रवाई की आलोचना को यहूदी विरोध कहकर खारिज नहीं किया जाना चाहिए. महासचिव ने कहा कि इस बुराई के खिलाफ लडाई हम सभी की लडाई है.’ उन्होंने कहा कि यह ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और मानवाधिकार की व्यापक तलाश’ का हिस्सा है. अमेरिका समेत मुख्यत: 37 पश्चिमी देशों की अपील पर महासभा की बैठक हुई. अमेरिका ने विश्व ईकाई से दुनियाभर में यहूदीवाद के खिलाफ चिंताजनक रूप से फैलते खतरे के समाधान के लिए इस बैठक की अपील की थी.

यह एक अनौपचारिक बैठक थी जिसमें 193 में से करीब आधे सदस्य देशों ने भाग लिया, जिसके चलते इसमें कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सका. लेकिन 40 देशों ने बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें सभी देशों से यहूदी विरोधी भावना को स्पष्ट रूप से नकारने, भेदभाव से निपटने वाले कानूनों को मजबूत करने और यहूदी विरोधी अपराधों को अंजाम देने वालों को दंडित किए जाने का आह्वान किया गया.

बयान जारी करने वाले इन 40 देशों में अधिकतर पश्चिमी देश शामिल थे. संयुक्त राष्ट्र में इस्राइल के स्थायी प्रतिनिधि रोन प्रोसोर ने कहा कि नाजी जनसंहार में 60 लाख यहूदियों के कत्लेआम के सालों बाद यहूदी विरोधी हिंसा की छाया यूरोप पर फिर पड रही है जिनमें हमले, नफरत फैलाना और हत्याएं शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि यहूदीवाद विरोध संयुक्त राष्ट्र में भी है जहां पिछले पतझड में प्रतिनिधियों ने उनके देश पर नाजियों की तरह बर्ताव करने और गाजा में नरसंहार करने का इल्जाम लगाया था. उन्होंने कहा कि यूरोप की परीक्षा ली जा रही है और इसकी सरकारें यदि अपने यहूदी समुदायों की रक्षा करने में सफल रहती हैं तो वे अपनी आजादी और लोकतंत्र की रक्षा करने में भी सफल होंगी.

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