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एक तालिबान कमांडर जो पाक एयरफ़ोर्स में रहा था

मलाला यूसुफ़ज़ई को चिठ्ठी लिखने वाले तहरीक-ए-तालिबान के चरमपंथी कमांडर अदनान रशीद के बारे में दुनिया भर के मीडिया में पिछले दिनों ज़िक्र हो रहा था. शीद ने उस चिठ्ठी में मलाला पर पिछले साल हुए हमलों को वाजिब ठहराने की कोशिश की थी. हालांकि रशीद ने कहा है कि उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान की तरफ़ से […]

मलाला यूसुफ़ज़ई को चिठ्ठी लिखने वाले तहरीक-ए-तालिबान के चरमपंथी कमांडर अदनान रशीद के बारे में दुनिया भर के मीडिया में पिछले दिनों ज़िक्र हो रहा था.

शीद ने उस चिठ्ठी में मलाला पर पिछले साल हुए हमलों को वाजिब ठहराने की कोशिश की थी. हालांकि रशीद ने कहा है कि उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान की तरफ़ से नहीं बल्कि निजी हैसियत से वह चिठ्ठी लिखी थी. इस चिठ्ठी के बाद मीडिया की नज़र रशीद पर पड़ी.

पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तून सूबे के स्वाबी ज़िले में छोटा लाहौर इलाक़े के बांशिदे रशीद एक पारंपरिक पख़्तून हैं.

साल 1997 में वो पाकिस्तानी वायु सेवा में जूनियर टेक्नीशियन के तौर पर शामिल हुए. एक दुर्लभ साक्षात्कार में रशीद ने कहा था कि एक गुप्त जिहादी संगठन इदारा तुल पाकिस्तान ने उनके दिमाग़ को भर दिया था. यह वही संगठन था जो तीनों सैन्य सेवाओं से अफ़सरों की भर्ती करता था.

रशीद का यह इंटरव्यू जिहादियों की मैगज़ीन अज़ान के पहले ही अंक में प्रकाशित हुआ था. अज़ान एक अंग्रेज़ी मैगज़ीन थी और कहा जाता है कि तालिबान ने इसे पढ़े लिखे मुसलमानों से संवाद करने के लिए शुरू किया था.

मुशर्रफ़ पर हमले

रशीद को पहली बार पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ पर हमले की कोशिश के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया था. यह हमला रावलपिंडी में 14 दिसंबर 2003 को हुआ था.

कहा जाता है कि रशीद ने इस हमले की योजना अमजद फ़ारूक़ी के साथ मिलकर बनाई थी. अमजद वही चरमपंथी नेता थे जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने ही मुशरर्फ़ पर हुए दो अन्य हमलों की साज़िश रची थी.

इसके बाद तीन अक्तूबर 2005 को पाकिस्तान की एक फ़ौजी अदालत ने रशीद को वायुसेना के छह सैनिकों के साथ दोषी क़रार दे दिया.

जेल में रहने के दौरान भी रशीद एक मोबाइल फ़ोन के ज़रिए बाहरी दुनिया से जुड़ा रहा. उसका एक फ़ेसबुक पेज भी है और उसकी दिलचस्पी ब्लॉगिंग में भी देखी गई.

कई पत्रकारों से उसके संपर्क थे जिन्हें वह एसएमएस भेजा करता था. कहा जाता है कि वह फ़र्राटे के साथ पश्तो, उर्दू और अंग्रेजी बोल सकता है. जेल में रहने के दौरान उसे शादी करने की इजाज़त दी गई थी और बाद में वह एक बेटी का बाप भी बना.

जेल तोड़ना

तालिबान ने 15 अप्रैल 2012 को जेल तोड़कर रशीद को रिहा करवा लिया था. इस हमले को तालिबान के तक़रीबन 200 लड़ाकों ने बंदूक, ग्रेनेड, रॉकेटों जैसे असलहों से लैस होकर अंजाम दिया था. जेल तोड़ने की इस कार्रवाई में 384 क़ैदी फ़रार हो गए. जेल से भागने वाले क़ैदियों में रशीद भी शामिल था. इसके घटना के थोड़े ही समय के बाद तालिबान ने घटना की ज़िम्मेदारी ली थी.

इस संगठन के प्रवक्ता ने दक्षिण वज़ीरिस्तान में पत्रकारों को बुलाकर कहा, "हम अपने ख़ास लोगों को छुड़ा कर ले आए हैं… और कुछ दिनों में जब वे सब अपने ठिकानों पर पहुँच जाएंगे तो हम इसके बारे में विस्तार से बताएंगे."

और जैसा कि तहरीक-ए-तालिबान ने वादा किया था, एक 34 मिनट लंबा वीडियो जारी किया गया. इस वीडियो में हमले की योजना के बारे में विस्तार से बताया गया था. वीडियो से यह भी पता चला कि तालिबानी चरमपंथी जेल तोड़ने के दौरान रशीद को ख़ास तौर पर खोज रहे थे.

पाकिस्तानी अख़बार ‘द न्यूज़’ में छपी से एक ख़बर से यह मालूम पड़ता है कि जेल तोड़ने का मक्सद रशीद की रिहाई थी. रिपोर्ट के मुताबिक़ तालिबानी लड़ाकों ने रशीद का स्वागत किया और उनके सिर पर पगड़ी पहनाई. ख़बरों के अनुसार इसके बाद रशीद को नॉर्थ वज़ीरिस्तान एजेंसी के मिराली शहर ले जाया गया जहाँ उसका भव्य स्वागत हुआ.

अदनान रशीद

रशीद फर्राटे के साथ पश्तो, उर्दू और अंग्रेजी बोल सकता है.

इस घटना के थोड़े ही समय बाद रेडियो फ्री यूरोप ने ख़बर दी कि पाकिस्तान में डेरा इस्माइल ख़ान स्थित उसके संवाददाता को एक 22 सेकेंड का वीडियो दिया गया है.

इस वीडियो में रशीद को किसी अज्ञात स्थान पर एक कार की अगली सीट पर बैठा हुआ दिखाया गया था और वे एक अनजाने व्यक्ति को उसके सवालों का जल्दबाजी में जवाब दे रहे थे.

जेल से रिहाई के बाद रशीद को तालिबान की एक विशेष यूनिट की कमान सौंपी गई. तालिबान की इस स्पेशल यूनिट में इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ उज़बेकिस्तान की भी भागीदारी थी.

इस नए घटनाक्रम के बारे में भी एक वीडियो जारी किया गया था जिसमें न केवल अदनान रशीद दिखाई दे रहे थे बल्कि वज़ीरिस्तान से ही काम कर रहे इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ उज़बेकिस्तान के वांछित जर्मन कमांडर यासिन चौका और अब्दुल हकीम भी दिखाई दिए. अब्दुल हकीम मूलतः रूसी हैं.

मलाला को रशीद की चिठ्ठी पर अभी तक तालिबान के प्रमुख प्रवक्ता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है हालांकि स्वात के इलाक़े में ख़ासा असर ऱखने वाले मौलाना फ़जलुल्लाह गुट ने जल्दबाज़ी में दी गई अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि पाकिस्तान वापस लौटने की सूरत में वे मलाला पर फिर से हमला करेंगे.

बीबीसी

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